क्या आडवाणी पर भारी पड़ा अमित शाह का रथ?

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भारतीय जनता पार्टी को पिछले तीस सालों में फर्श से अर्श तक ले जाने वाले वयोवृद्ध नेता लालकृष्‍ण आडवाणी के राजनीतिक सफर पर विराम लग गया है। 1998 से लगातार गांधीनगर से जीत दर्ज करने वाले आडवाणी की जगह इस बार पार्टी अध्‍यक्ष अमित शाह को टिकट दिया गया है।

2014 की प्रचंड जीत के बाद एक बार फिर सत्‍ता पर काबिज होने के लिए भाजपा ने इस बार बड़ी सर्जरी भी की है। गुरुवार को जारी की गई 184 उम्‍मीदवारों की लिस्‍ट में करीब एक दर्जन से ज्‍यादा सांसदों के टिकट काटे गए हैं।

2014 में भाजपा की जीत में बड़ी भूमिका निभाने वाले उत्‍तर प्रदेश से सबसे ज्‍यादा 6 सांसदों के टिकट काटे गए हैं। वहीं महाराष्‍ट्र, छत्‍तीसगढ़, राजस्‍थान से भी टिकट काटे गए हैं।

इंडिया टीवी न्यूज़ डॉट कॉम के अनुसार, भारतीय जनता पार्टी में अटल युग के कद्दावर नेता लालकृष्‍ण आडवाणी ने पहले ही लोकसभा चुनाव न लड़ने का फैसला लिया था। इस बार इस सीट पर पार्टी अध्‍यक्ष अमित शाह को टिकट दिया गया है।

अमित शाह पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे। आडवाणी की बात करें तो उन्‍होंने पहली बार 1991 में चुनाव जीता था। इसके बाद 1996 के चुनाव में उन्‍होंने यह सीट अटल बिहारी वाजपेयी को दे दी थी। 1998 के चुनाव में यहां से विजयभाई पटेल ने चुनाव लड़ा था। लेकिन इसके बाद से अभी तक 5 बार आडवाणी गांधी नगर से लड़े और चुनकर आए हैं।