50% बिकने वाले एलईडी बल्ब असुरक्षित हैं: अध्ययन

   

बाजार में बेचे जा रहे करीब आधे एलईडी बल्ड और डाउनलाइटर ब्रांड असुरक्षित हैं। इसके साथ ही इनका उत्पादन गैर कानूनी तरीके से किया जा रहा है। यह बात मार्केट रिसर्च फर्म नीलसन के स्टडी में सामने आई है। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार नीलसन ने स्टडी में आठ शहरों के 400 रिटेल आउटलेट को शामिल किया।

स्टडी में सामने आया कि ये बल्ब और डाउनलाइटर्स ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (बीआईएस)और इलेक्ट्रोनिक्स और इंफोर्मेशन टेक्नोलॉजी के मानकों पर खरे नहीं उतर रहे हैं। इनका गैरकानूनी ढंग से उत्पादन किए जाने के कारण सरकार को राजस्व का भी नुकसान हो रहा है। स्टडी में यह पाया गया कि 47 फीसदी एलईडी ब्रांड और 52 फीसदी एलईडी डाउलाइटर्स ब्रांड्स निर्धारित सुरक्षा मानकों का पालन नहीं कर रहे हैं।

बाजार के सूत्रों के अनुसार इन एलईडी बल्बों का उत्पादन सस्ते आयातित किट के जरिये किया जा रहा है। इनमें से भी अधिकतर चीन से आयात किए जा रहे हैं। इतना ही नहीं ये एलईडी बल्ब ऊर्जा की भी उतनी बचत नहीं कर रहे हैं जिससे एलईडी लैंप्स के उद्देश्यों की पूर्ति नहीं हो पा रही है। इलेक्ट्रिक लैंप एंड कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (ELCOMA) के अध्यक्ष राजू बिस्टा ने कहा कि यह सरकार के एनर्जी एफिशिएंट प्रोडक्ट को बढ़ावा देने के प्रयासों पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं। इससे एलईडी इंडस्ट्री की छवि को भी नुकसान पहुंच रहा है।

एसोसिएशन के अनुसार भारत का एलईडी बाजार करीब 11,400 करोड़ रुपये का है। इतने बड़े पैमाने पर बल्ब और डाउनलाइटर्स का गैरकानूनी ढंग से उत्पादन होने के कारण सरकारी खजाने को बड़ा नुकसान हो रहा है।

इलेक्ट्रिक लैंप एंड कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के वाइस प्रेसिडेंट सुमित पदमाकर जोशी ने कहा, ‘एलईडी इंडस्ट्री ने पिछले 5-6 साल में महत्वपूर्ण रूप से वृद्धि हासिल की है। इस वजह से कई ऐसे उत्पाद भी आ गए हैं जो बीआईएस मानकों का पालन नहीं करते हैं।