किसान आन्दोलन को समर्थन देने के लिए 60 साल के इस शख्स ने 1000 किलोमीटर साइकिल चला कर पहुंचा!

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तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ भारत के किसानों में आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है। पिछले 20 से ज्यादा दिनों से दिल्ली बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन जारी है।

बिहार डेमोक्रेसी पर छपी खबर के अनुसार, इस आंदोलन का शुरुआत पहले पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों ने किया था। लेकिन अब देश के अन्य हिस्सों से यहां किसान आन्दोलोनकारी किसानों के समर्थन में पहुँच रहे है।

इसी कड़ी में किसानों को समर्थन देने के लिए बिहार के सीवान जिले के एक बुजुर्ग साइकिल चलाकर दिल्ली पहुंचे हैं। कृषि बिल हो वापस- किसानसत्येंद मांझी बिहार के सिवान जिले के रहने वाले है।

वे 11 दिन तक लगातार साईकिल चलाकर टिकरी बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में हिस्सा लेने पहुंचे। उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार से मांग की है कि सरकार किसानों के हित में इन कानूनों को वापस ले ले।

टिकरी पहुंचने के बाद एएनआई से बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘सीवान से यहां तक आने में मुझे 11 दिन लगे हैं। मैं सरकार से अपील करता हूं कि वे कृषि कानूनों को वापस ले ले।

बढ़ता जा रहा है आक्रोशबता दे कि कृषि कानून पर विवाद सुप्रीम कोर्ट की दहलीज पर पहुँच गया है। कोर्ट ने कहा है कि सरकार और किसानों के बीच बातचीत होना जरुरी है।

इसे देखते हुए कोर्ट ने वार्तालाप समिति बनाने की बात कही है। फिलहाल किसानों ने कोर्ट के फैसले पर कुछ भी नहीं कहा है। हालाँकि जिस तरह से किसान तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हुए है, उसे देखते हुए ये साफ़ है कि किसान इन कानूनों को वापस करवाएं बिना नहीं मानेगी।

मोदी सरकार को ठण्ड की फ़िक्र नहींसरकार कृषि बिल को किसानों के हित में बता रही है। जबकि किसान बिहार के किसानों का हवाला देते हुए कह रहे है कि यदि ये कानून सही होता तो आज बिहार के किसानों की आय पंजाब और हरियाणा के किसानों से काफी बेहतर होती।

यही वजह है कि किसानों और केंद्र सरकार के बीच टकराव लगातार लम्बा खींचता जा रहा है। पीएम मोदी भी इसे वापस लेने के मसले पर मौन है और इसके फायदे बता रहे है, जबकि हांड कंपा देने वाले ठण्ड में आंदोलन कर रहे किसान सरकार से कह रही है कि बिल अच्छा भी हो तो हमें नहीं चाहिए। यदि बिल अच्छा होता तो हम किसान आंदोलन क्यों करते?