आज से ठीक एक साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर देश में जनता कर्फ्यू लगा। ये लॉकडाउन का ट्रायल था।
भास्कर डॉट कॉम पर छपी खबर के अनुसार, ट्रायल सफल रहा और 25 मार्च से कोरोना के बढ़ते आंकड़ों के बीच देश में लॉकडाउन लगना शुरू हुआ।
कोरोना फिर भी बढ़ता रहा। एक से दूसरा, दूसरे से तीसरा और तीसरे से चौथा लॉकडाउन लगा।
फिर शुरू हुआ अनलॉक का दौर। इन सब के बीच कोरोना बढ़ता गया।
सितंबर तक ये रफ्तार बढ़ती रही। अक्टूबर आया तो कहा गया- अब तो मौसम बदलना शुरू होगा तो ये आंकड़े और बढ़ेंगे, लेकिन हुआ उल्टा। कोरोना के मामले घटने लगे।
इस साल जनवरी में देश में वैक्सीन भी आ गई। फिर क्या था… हम और लापरवाह हो गए। हमें लगा कि अब तो सब ठीक है, लेकिन एक बार फिर हमारी सोच के उलट कोरोना ने पलटी मारी है।
इस साल 11 फरवरी के बाद देश में कोरोना के मामले रोज बढ़ने शुरू हो गए, जो पिछले साल नवंबर के बाद लगातार घट रहे थे।
11 फरवरी को देशभर में केवल 9,353 केस आए थे। 20 मार्च को इनकी संख्या बढ़कर 43,815 हो गई। यानी, 368% से भी ज्यादा का उछाल। इस बीच रोज मौतों की तादाद भी बढ़ने लगी है।
महाराष्ट्र, पंजाब जहां दूसरे पीक की ओर बढ़ रहे हैं, वहीं मध्य प्रदेश, दिल्ली समेत 6 और राज्य हैं, जहां कोरोना के नए केस में तेजी आई है। आइए समझें हम कहां और किस रफ्तार से जा रहे हैं और इसे रोक कैसे सकते हैं…?
इस साल 16 जनवरी से वैक्सीन लगनी शुरू हुई। अब तक 4.5 करोड़ से ज्यादा वैक्सीन के डोज लग चुके हैं, लेकिन सिर्फ 75 लाख लोगों को ही वैक्सीन के दोनों डोज लग पाए हैं।
सालभर से कोरोना मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टर तेज प्रताप तोमर कहते हैं कि वैक्सीन इलाज नहीं, इम्यूनिटी बूस्टर है। जब तक 40 से 50 करोड़ लोगों को वैक्सीन नहीं लग जाती, तब तक हर्ड इम्यूनिटी नहीं आएगी।
तब तक हमें सारी सावधानियां रखनी ही पड़ेंगी। तभी हालात काबू में रहेंगे। अगर हम इसी तरह लापरवाह बने रहे तो एक साल पहले जैसे स्थितियां फिर देखने को मिलेंगी।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन भी कहते हैं कि वैक्सीन आने के बाद लोगों ने या तो मास्क लगाना ही छोड़ दिया या फिर मास्क सही से पहनना छोड़ दिया। कोरोना संक्रमण बढ़ने का ये बड़ा कारण है।