अभिजीत बनर्जी से पहले इन 9 भारतीयों को मिला है नोबेल पुरस्कार, जानें- कौन हैं वो शख्सियत ?

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नोबेल पुरस्कारों की घोषणा कर दी गई है। भारतीय मूल के अभिजीत बनर्जी को इस बार अर्थशास्त्र के क्षेत्र में काम करने के लिए ये pur। उनके साथ नोबेल पुरस्कार दिया गया है। सूची में उनकी पत्नी एस्थर डुफलो का भी नाम शामिल है। अर्थशास्त्र के क्षेत्र में अभिजीत व उनकी पत्नी एस्थर डुफलो के अलावा माइकल क्रेमर को भी संयुक्त रूप से पुरस्कृत किया जा रहा है। इन्हें ये पुरस्कार वैश्विक गरीबी से प्रभावी लड़ाई लड़ने के लिए दिया जा रहा है।

बता दें की इससे पहले भी नौ भारतीयों को अलग-अलग वर्गों में नोबेल पुरस्कार दिया जा चुका है। आइये जानते हैं कौन हैं वो भारतीय जिनको ये पुरस्कार मिल चूका है ।

रविंद्रनाथ टैगोर

टैगोर भारत के पहले नोबेल पुरस्कार विजेता थे जिन्हें साहित्य के क्षेत्र में योगदान के लिए इस पुरस्कार से नवाज़ा गया था. टैगोर को 1913 में जब ये सम्मान मिला तब वो ये पुरस्कार पाने वाले पहले गैर यूरोपीय थे.

हरगोविंद खुराना

जाने माने भारतीय मूल के वैज्ञानिक हरगोविंद खुराना को 1968 में मेडिसीन के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार मिला था. खुराना का शोध इस विषय पर था कि एंटी बायोटिक खाने का शरीर पर किस तरह का व्यापक असर होता है. भारत के पंजाब में जन्मे खुराना ने आगे चलकर अमरीका के जाने माने एमआईटी इंस्टीट्यूट से पढ़ाई की थी और अमरीका में ही बस गए थे.

सीवी रमण

मद्रास में 1888 में जन्मे सीवी रमण का योगदान फिजिक्स विषय में था और उन्होंने प्रकाश से जुड़े जिन प्रभावों की खोज की थी उन्हें रमन इफेक्ट के नाम से जाना जाता है. उन्हें 1930 में फिजिक्स के क्षेत्र में ये पुरस्कार दिया गया.

वीएएस नायपॉल

त्रिनिदाद एंड टोबैगो में जन्मे विद्याधर सूरजप्रसाद नायपॉल के पूर्वज गोरखपुर से गिरमिटिया मज़दूर के रुप में त्रिनिदाद पहुंचे थे. नायपॉल के उपन्यासों में भारत को काफी महत्व दिया गया लेकिन भारत को लेकर उनका नज़रिया काफी विवादित भी रहा. ब्रिटेन में बसे नायपॉल को 2001 में साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए नोबेल दिया गया.

वेंकट रामाकृष्णन

भारतीय मूल के वेंकट रामाकृष्णन मदुरै में जन्मे थे और इस समय कैंब्रिज़ में पठन पाठन करते हैं. उन्हें वर्ष 2009 में राइबोसोम के स्ट्रक्चर और कार्यप्रणाली के क्षेत्र में शोध के लिए केमिस्ट्री का नोबेल पुरस्कार दिया गया था.

 

मदर टेरेसा

अल्बानिया मूल की मदर टेरेसा ने कोलकाता में गरीबों और पीड़ित लोगों के लिए जो किया वो दुनिया में अभूतपूर्व माना जाता है. मदर टेरेसा अपनी मृत्यु तक कोलकाता में ही रही और आज भी उनकी संस्था गरीबों के लिए काम कर रही है.

सुब्रहमण्यम चंद्रशेखर

चंद्रशेखर का जन्म 1910 में लाहौर में हुआ था और उनकी पढ़ाई अमरीका में हुई. उनका विषय एस्ट्रोफिजिक्स था और उन्हें 1983 में सितारों की आकृति और कैसे सितारे बने इसके सैद्धांतिक शोध के लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार मिला.

 

आर के पचौरी

राजेंद्र पचौरी का काम पर्यावरण के क्षेत्र में था और वो लंबे समय तक टेरी (टाटा एनर्जी रिसर्च इंस्टीट्यूट) से जुड़े रहे. उनके शोध पत्र जलवायु परिवर्तन पर थे और उन्हें वर्ष 2007 में संयुक्त राष्ट्र की जलवायु परिवर्तन के लिए बनी कमिटी के साथ संयुक्त रुप से शांति के लिए नोबेल मिला था.

अमर्त्य सेन

भारतीय मूल के अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन अपनी पुस्तक द आरग्यूमेंटेटिव इंडियन के लिए काफी चर्चित रहे लेकिन अर्थशास्त्र में उनका काम उल्लेखनीय रहा है. उन्हें 1998 में नोबेल पुरस्कार दिया गया था अर्थशास्त्र के क्षेत्र में.

कैलाश सत्यार्थी

वर्ष 2014 का शांति का नोबेल पुरस्कार कैलाश सत्यार्थी को मिला है. कैलाश को बच्चों के लिए किए गए उनके काम को देखते हुए ये पुरस्कार दिया गया है.

जानकारी के लिए आपको बता दें कि स्वीडन के वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल की याद में 1901 में शुरू किया गया था। इसको हर वर्ष नोबेल फाउंडेशन द्वारा प्रदान किया जाता है। यह शांति, साहित्य, भौतिकी, रसायन, चिकित्सा विज्ञान और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में विश्व का सर्वोच्च पुरस्कार है। इसके तहत एक प्रशस्ति पत्र और 14 लाख डॉलर की राशि दी जाती है।