असम में मदरसों को बंद करने के ऐलान के बाद भारी विरोध प्रदर्शन!

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असम की भाजपा सरकार ने ऐलान किया था कि राज्य में चल रहे मदरसे और संस्कृत संस्थानों को बंद करेगी। इसके विरोध में अब हिंदू और मुस्लिम दोनों उतर चुके हैं।

 

डेली न्यूज़ पर छपी खबर के अनुसार उनके समर्थन में कांग्रेस पार्टी उतर चुकी है। असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने इस फैसले को मूर्खतापूर्ण करार दिया है। हालांकि बीजेपी ने इस कदम का समर्थन किया है।

 

असम राज्य जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने इस फैसले को कानूनी चुनौती देने की चेतावनी दी है। गौरतलब है कि राज्य के शिक्षा मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बुधवार को कहा था कि राज्य सरकार द्वारा संचालित मदरसे और संस्कृत केंद्रों को अगले तीन से चार महीनों के अंदर बंद कर दिया जाएगा।

 

असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने इस फैसले को लेकर कहा है कि प्रशासन को इन संस्थानों को आधुनिक बनाने पर काम करना चाहिए था।

 

हिंदू परिवारों के कई बच्चों के साथ जोरहाट के मदरसे में पढ़े गोगोई ने कहा, ‘सरकार को मदरसों की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए और न ही उन्हें किसी धर्म के साथ जोड़कर देखना चाहिए।

 

इन संस्थानों को खत्म करने के बजाय सरकार को इन्हें मजबूत और आधुनिक बनाना चाहिए था। साथ ही इनमें सामान्य विषयों पेश करना और तकनीक को बढ़ावा देना चाहिए।’

 

इस बीच, असम राज्य जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अनफार और बदरुद्दीन अजमल समूहों ने इस कदम का विरोध किया है।

 

जमीयत के राज्य सचिव मौलाना फज्ल-उल-करीम ने कहा, ‘यह सच नहीं है कि मदरसे केवल धार्मिक शिक्षा प्रदान करते हैं क्योंकि वे इस्लामिक शिक्षाओं के साथ एक विदेशी भाषा के रूप में अरबी पढ़ाते हैं। इससे कई छात्रों को डॉक्टर और इंजिनियर बनने में मदद मिलती है और वे मध्य पूर्व के देशों में रोजगार हासिल करते हैं।’

 

 

करीम ने कहा, ‘अगर राज्य सरकार मदरसों को बंद करती है तो जमीयत इस फैसले को रोकने के लिए कानून प्रावधानों का सहारा ले सकती है।’ हालांकि, असम बीजेपी ने सरकार के फैसले का स्वागत किया है।

 

असम बीजेपी के प्रवक्ता रूपम गोस्वामी ने कहा कि राज्य सरकार ने सही फैसला लिया है क्योंकि धार्मिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए धन मुहैया कराना सरकार की जिम्मेदारी नहीं है।

 

उन्होंने कहा था कि इन्हें नियमित पाठ्यक्रमों वाले उच्च और उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में बदल दिया जाएगा ‘क्योंकि धार्मिक शिक्षा, अरबी या ऐसी अन्य भाषाओं से संबंधित संस्थानों को धन मुहैया कराना सरकार का काम नहीं है।’

 

सरमा ने कहा था कि असम में लगभग 1,200 मदरसे और 200 संस्कृत केंद्र हैं और अगर कोई निजी धन का इस्तेमाल कर धार्मिक शिक्षाएं दे रहा है तो कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन अगर पवित्र कुरान की शिक्षाएं देने के लिए सरकार द्वारा मुहैया कराए गए धन का इस्तेमाल किया जाता है, तो गीता और बाइबल की शिक्षा भी देनी पड़ेगी।

 

उन्होंने कहा, ‘चूंकि सरकार धर्मनिरपेक्ष संस्था है, इसलिए वह धार्मिक शिक्षाओं में शामिल संगठनों को धन मुहैया नहीं करा सकती।’

 

उन्होंने कहा कि निजी मदरसे और संस्कृत केंद्र अपना काम जारी रख सकते हैं, लेकिन जल्द ही एक नया कानून लाया जाएगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे एक नियामक ढांचे के अनुसार कार्य कर रहे हैं।