दिल्ली के रामलीला मैदान से हजारों उलमा की मौजूदगी में आतंकवाद के खिलाफ़ फ़तवा जारी

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पुलवामा आतंकी हमले में शहीद जवानों को लेकर देशभर में उबाल के बीच रविवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में हजारों उलमा की मौजूदगी में आतंकवाद के खिलाफ फतवा जारी हुआ। साथ ही जम्मू-कश्मीर को भारत का अटूट हिस्सा बताते हुए केंद्र सरकार से गुलाम कश्मीर को आजाद कराने की मांग की गई।

नयी दुनिया पर छपी खबर के अनुसार, रामलीला मैदान में ऑल इंडिया तंजीम उलमा-ए-इस्लाम द्वारा आयोजित एक दिवसीय विश्व शांति सम्मेलन में केरल के मदीन अकादमी के संस्थापक सैयद खलील बुखारी, खानकाहे अशरफिया के सज्जादनशीं सैयद मुईन अशरफ के अलावा अजमेर, कलियर, देवा शरीफ व बरेली व रामपुर के धर्म गुरुओं समेत कुल 15 राज्यों से मदरसों और दरगाहों के उलमा व सूफी ने हिस्सा लिया।

इसके अलावा तुर्की, श्रीलंका, मॉरीशस समेत अन्य देशों से धर्मगुरु भी पहुंचे। सम्मेलन में धर्मगुरुओं ने आतंकवाद की निदा करते हुए दो टूक कहा कि इस्लाम किसी भी सूरत में आतंकवाद व हिसा की इजाजत नहीं देता है। इस्लाम और जिहाद के नाम पर दुनिया भर में जितने भी संगठन बने हुए हैं वे सब कुरान व हदीस के उसूल व कानून के खिलाफ है।

फतवे में यह भी स्पष्ट किया गया कि आतंकी संगठनों के साहित्य देखना, सोशल साइट्स देखना व इनके साथ भागीदारी करना भी हर हाल में नाजायज और हराम है। इसके पहले सम्मेलन के आरंभ में पुलवामा के शहीद जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक जंग की मांग की गई।

सम्मेलन की अध्यक्षता अल्लामा मुहम्मद अशफाक हुसेन कादरी ने की, जबकि सरपरस्ती मुफ्ती आजम केरल हजरत शेख अबु बक्र कादरी ने। संयोजक व गरीब नवाज एजुकेशनल एंड डेवलपमेंट काउंसिल के महासचिव कारी मुहम्मद मियां मजहरी ने कहा कि मुल्कों की बागडोर संभालने वालों के साथ मिल बैठकर आतंकवाद के खात्मे के लिए का हल खोजना होगा।

तंजीम-ए-उलमा इस्लाम के महासचिव शहाबुद्दीन रिजवी ने बताया कि सम्मेलन में भारतीय मुसलमानों की समस्याओं के समाधान पर एक 13 सूत्रीय संयुक्त घोषणापत्र भी जारी किया गया। इस पर केंद्र व राज्य सरकारों से ध्यान देने की मांग की गई है।