तीन तलाक़ कानून बनने के बाद सिर्फ़ यूपी में 216 मामलें दर्ज!

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तीन तलाक रोधी कानून बनने के बाद उत्तर प्रदेश में तीन तलाक से जुड़े मामलों में तेजी से इजाफा हुआ है। आंकड़ों के मुताबिक 21 अगस्त तक तीन हफ्तों में 216 मामले दर्ज किए जा चुके हैं।

इनमें पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक मामले 26 मामले मेरठ में दर्ज हुए जबकि पूर्वी उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक 10 शिकायतें वाराणसी में आईं। इसके अलावा सहारनपुर में 17, शामली में 10 मामले दर्ज हुए।

अमर उजाला पर छपी खबर के अनुसार, पुलिस के मुताबिक एक माह में दर्ज कुल 216 मामलों में महज दो से तीन मामलों में ही गिरफ्तारी हुई है। नियमानुसार सात साल से कम सजा के प्रावधान वाले मामलों में विशेष परिस्थितियों को छोड़कर गिरफ्तारी नहीं होती है। दर्ज मामलों में अधिकतर दहेज, संपत्ति विवाद या घरेलू हिंसा प्रमुख वजह हैं।

पुलिस महानिदेशक ओम प्रकाश सिंह ने कहा, तीन तलाक रोधी कानून को और प्रभावी बनाने व मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए मुकदमे दर्ज होने से पड़ने वाले प्रभाव का विश्लेषण किया जाएगा। कानून के तहत आरोपियों की गिरफ्तारी की संभावनाएं भी तलाशी जा रही हैं। इसके लिए तमाम तकनीकी पहलुओं का परीक्षण किया जा रहा है।

लखनऊ के एक दहेज मामले की कोर्ट में सुनवाई के दौरान सैय्यद राशिद ने अपनी पत्नी को तीन बार तलाक बोलकर अपनी जिंदगी से महज इस लिए बेदखल कर दिया कि उसने उसके द्वारा दिया चुइंगगम लेने से इनकार कर दिया था।

तलाक ए बिद्दत के तहत मुसलमान पुरुष बोलकर, फोन पर कॉल के दौरान, एसएमएस लिखकर या व्हाट्सएप पर तीन बार तलाक तलाक तलाक का मैसेज भेजकर तलाक दे रहे हैं।

तलाक रोधी कानून के तहत तलाक ए बिद्दत के आधार पर दिए गए तलाक को गैरकानूनी माना जाएगा। साथ ही इस तरह से तलाक देने वाले के खिलाफ सख्त सजा का प्रावधान है।

यह सजा तीन साल, जुर्माना या दोनों हो सकती है। साथ ही महिला को अपने और बच्चों के लिए गुजारा भत्ता मांगने का भी अधिकार होता है।