भारत ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन दवा से प्रतिबंध हटाया!

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भारत ने आखिरकार हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन के एक्सपोर्ट पर मुहर लगा दी। सरकार ने मंगलवार को साफ किया कि कुछ देशों में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन दवा का निर्यात किया जाएगा।

 

भास्कर डॉट कॉम पर छपी खबर के अनुसार, देश की जरूरतों को प्राथमिकता देंगे। इस बात का भी ध्यान रखा जाएगा कि अन्य देश में कितने केस हैं। भारत का बयान अमेरिकी चेतावनी 6 घंटे बाद आया।

 

भारतीय समयानुसार तड़के 4 बजे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने धमकी देते हुए कहा था कि अगर भारत उनके व्यक्तिगत आग्रह के बावजूद दवा नहीं भेजता तो उस पर कार्रवाई की जाएगी।

 

हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन भारत में मलेरिया के इलाज की पुरानी और सस्ती दवा है। कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच देश के स्वास्थ्यकर्मी यह दवा एंटी-वायरल के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं।

 

इसके चलते सरकार ने पिछले महीने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। नासा के वैज्ञानिकों ने भी मलेरिया निरोधक हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन को कोरोना से लड़ने में कारगर बताया था।

 

ट्रम्प ने कहा कि अगर भारत हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन के निर्यात पर लगा बैन नहीं हटाता तो उस पर कार्रवाई की जा सकती है। मुझे कोई कारण नहीं दिखता कि भारत ने अमेरिका के दवा के ऑर्डर को रोककर क्यों रखा है? अमेरिका के भारत से अच्छे रिश्ते हैं।

 

आश्चर्यचकित हूं कि इन सबके बावजूद वहां की सरकार हमें दवा भेजने को लेकर फैसला नहीं कर पा रही। शनिवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत से गुहार लगाई थी कि बीमारी से निपटने के लिए हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन की खेप भेजें।

 

विदेश विभाग के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ हमेशा से सहयोग किया और बेहतर संबंध रखे। कई देशों में भारत के लोग रह रहे हैं, कोरोना के चलते उन्हें निकाला गया।

 

मानवीयता के आधार पर सरकार ने फैसला लिया कि हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन और पैरासिटामॉल को पड़ोस के उन देशों को भी भेजा जाएगा, जिन्हें हमसे मदद की आस है।’’

 

इटली और स्पेन के बाद अमेरिका में मौतों का आंकड़ा 10 हजार से ज्यादा हो गया है। सबसे ज्यादा प्रभावित न्यूयॉर्क स्टेट में पांच हजार मौतें हुई हैं। इनमें आधा से ज्यादा केवल न्यूयॉर्क सिटी में है।

 

वहीं, राज्य में एक लाख 20 हजार से ज्यादा संक्रमित हैं और 16 हजार से ज्यादा लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वहीं, अमेरिका ने एशियाई देश में फंसे अपने 29 हजार नागरिकों को 13 विशेष विमानों से अपने देश बुला लिया है।

 

ये नागरिक साउथ एंड सेंट्रल एशियाई देश भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, उज्बेकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान में फंसे हुए थे। यह जानकारी दक्षिण और मध्य एशियाई मामलों की अमेरिका की सीनियर डिप्लोमेट एलिस वेल्स ने प्रेस वार्ता में दी। अकेले भारत में ही 1300 अमेरिकी नागरिक थे।