राम जन्मभूमि मंदिर पर सर्वोच्च न्यायालय का फैसला किसी भी दिन आ सकता है। देश में धार्मिक सद्भाव बना रहे इसके लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा के नेता अभी से जुट गए हैं।
RSS banks on Muslim leaders of BJP to maintain harmony following SC verdict on Ayodhya https://t.co/9um44jOMzD pic.twitter.com/Urz8g0rAP4
— Andy Vermaut (@AndyVermaut) November 2, 2019
जागरण डॉट कॉम के अनुसार, रणनीति के तहत भाजपा के मुस्लिम नेता सद्भाव बनाए रखने के लिए मोर्चा संभालेंगे। इस काम में उनका साथ मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) के पदाधिकारी भी देंगे।
गंगा जमनी तहज़ीब का हवाला
संघ परिवार की पूरी कोशिश है कि देश की गंगा-यमुना तहजीब का ताना-बाना मजबूत बनाए रखा जाए। इसे लेकर राजघाट स्थित गांधी स्मृति भवन में शुक्रवार देर रात तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, भाजपा और मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के पदाधिकारियों की मैराथन बैठक हुई।
चार समितियों का किया गया गठन
इसमें चार केंद्रीय समितियों का गठन भी किया गया, जो दूसरे धर्म के लोगों से संवाद बढ़ाने के साथ पूरे अभियान का नेतृत्व करेंगी। हालांकि, संघ ने अपने स्तर पर ऐसा प्रयास पहले ही शुरू कर दिया है।
अरशद मदनी से मोहन भागवत ने की थी मुलाकात
अगस्त माह में सर संघचालक मोहन भागवत की जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी से मुलाकात को इसी संदर्भ में देखा गया। संघ के शीर्ष नेतृत्व का दूसरे धर्म के प्रबुद्ध लोगों से मुलाकात का क्रम आगे बढ़ सकता है।
संघ नेताओं के नेतृत्व में बैठक
मुस्लिम नेताओं व पदाधिकारियों की यह बैठक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल, सह संपर्क प्रमुख रामलाल, एमआरएम के मार्गदर्शक इंद्रेश कुमार व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के मार्गदर्शन में हुई।
बीजेपी के ये मुस्लिम नेता रहे शामिल
इसमें भाजपा के वरिष्ठ नेता शाहनवाज हुसैन, शाजिया इल्मी, शहजाद पूनावाला, शाबिर अली, अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अब्दुल रशीद अंसारी, अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष सैयद गैरूल हसन रिजवी, एमआरएम के अध्यक्ष अफजाल अहमद व प्रवक्ता यासिर जिलानी समेत अन्य वरिष्ठ मुस्लिम नेताओं की मौजूदगी रही।
शांति बनाए रखने की अपील
एक पदाधिकारी के मुताबिक वरिष्ठ नेताओं ने इस पर जोर दिया कि किस तरह राममंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद देश का माहौल शांतिपूर्ण बनाए रखने की कोशिश कर सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि दूसरे धर्म के लोगों से संवाद बनाते हुए उन्हें विश्वास में लिया जाए। इसलिए इस बैठक में उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़ व दिल्ली जैसे राज्यों के भी पदाधिकारियों को बुलाया गया।
17 नवंबर से पहले आ सकता है फैसला
सुप्रीम कोर्ट से 17 नवंबर के पहले तक राममंदिर पर फैसला आने की उम्मीद है। संघ की पुरजोर कोशिश है कि फैसला जो भी आए, देश का माहौल खराब न हो।
इसी को लेकर दिल्ली के छतरपुर में संघ परिवार की तीन दिवसीय शीर्ष बैठक भी शुक्रवार शाम तक चली, जिसमें जोर दिया गया कि फैसले को लोग स्वीकार करें और देश का वातावरण सौहार्दपूर्ण बनाए रखें।
बैठक में केंद्रीय गृहमंत्री व भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह, कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा व संगठन महामंत्री बीएल संतोष, मोहन भागवत, सरकार्यवाह भय्याजी जोशी, सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल व मनमोहन वैद्य, विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के अध्यक्ष विष्णु सदाशिव कोकजे व कार्याध्यक्ष आलोक कुमार समेत सभी आनुषांगिक संगठनों के शीर्ष पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया था।