अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति, एआईकेएससीसी ने भारत सरकार द्वारा इस साल 4 नवम्बर को बैंकाक में नई मुक्त व्यापार संधि, आरसीईपी पर वार्ता कर हस्ताक्षर करने की चल रही प्रक्रिया पर गहरी चिंता व्यक्त की है।
यह समझौता दूध व दूध उत्पादों, प्लांटेशन उत्पादों, इलेक्ट्रानिक्स, वाहनों के पुर्जों व अन्य कई मैन्युफैक्चरिंग सामानों, जिनका भारी सब्सिडी के माध्यम से सस्ते में चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, न्यूजीलैण्ड, आस्ट्रेलिया व आसियान देशों में उत्पादन होता है, आयात कर घटाकर शून्य करने के लिए भारत को संकल्पबद्ध करता है। इससे देश में कृषि, मैन्युफैक्चरिंग, खाद्यान्न प्रसंस्करण जैसे उद्योगों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा और देश में बेरोजगारी बढ़ेगी।
हमारे लिए विशेष महत्व कृषि उत्पादन का है, जिसमें संकट बढ़ने से दूध के उत्पादन से जुड़े करोड़ों कृषक परिवारों का जीवन व जीविका प्रभावित हो जाएगी। देश के कई किसान संगठनों ने भारत सरकार से इस विषय पर अपनी चिंता व्यक्त की है और उससे आग्रह किया है कि वह इस समझौते पर तब तक हस्ताक्षर न करे, जब तक इससे प्रभावित देश के सभी लोगों को इस बात का विस्तार से अध्ययन करने का व राय देने का मौका न मिले, कि आरसीईपी में भारत सरकार किन बिन्दुओं पर सहमति दे रही है। भारत सरकार द्वारा इसकी शर्तों को जनता व राज्य सरकारों से भी गुप्त रखना किसी भी तरह से देश हित में नहीं है। कृषि वैसे भी राज्य सरकारों के अधीन आता है।
एआईकेएससीसी देश के 212 किसान संगठनों का एक संयुक्त मंच है और अपने सदस्य संगठनों के माध्यम से वह सभी करोड़ों किसान परिवारों से जुड़ा हुआ है। उसके घटक संगठन उन विरोध कार्यक्रमों का हिस्सा हैं जो अब तक देश भर में आरसीईपी के विरुद्ध विरोध सभाएं कर रहे हैं और इन सभी ने सरकार से मांग की है कि वार्ता की सम्पूर्ण जानकारी विस्तार से जनता के सामने रखी जानी चाहिए।
एआईकेएससीसी का वर्किंग ग्रुप 30 अक्टूबर 2019 को अपने विशेष सत्र में आरसीईपी पर मुख्य एजेंडा के तौर पर विचार विमर्श करेगा।
एआईकेएससीसी इस सवाल पर 31 अक्टूबर 2019 को नई दिल्ली में आयोजित एक प्रेस सम्मेलन में अपना पूरा कार्यक्रम घोषित करेगा।