अखिल भारतीय हिंदू महासभा और अन्य हिंदू पक्षों ने शनिवार को अयोध्या भूमि विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट में ‘मोल्डिंग ऑफ रिलीफ’ पर हलफनामा दाखिल किया।
Ayodhya land case: Akhil Bhartiya Hindu Mahasabha and other Hindu parties file 'Moulding of Relief' in Supreme Court saying that the Court may pass appropriate directions as to how to administer the property. pic.twitter.com/8bJDLJZpZp
— ANI (@ANI) October 19, 2019
जागरण डॉट कॉम के अनुसार, हिंदू महासभा एवं अन्य पक्षों का कहना है कि संपत्ति का प्रबंधन कैसे किया जाए इस बारे में अदालत अपना आदेश दे सकती है। मामले में मुस्लिम पक्षकार भी संयुक्त रूप से ‘मोल्डिंग ऑफ रिलीफ’ पर अपनी वैकल्पिक मांगों को सीलबंद लिफाफे में दाखिल कर चुके हैं।
अयोध्या विवाद: उच्चतम न्यायालय में मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पर हलफनामे दाखिल #Ayodhyadispute #affidavitfiled #MoldingofRelief #supremecourt– Legend News https://t.co/rIWF6KiX3I
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बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले में फैसला सुरक्षित रखते समय सभी पक्षकारों को मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पर तीन दिन में लिखित हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था।
वहीं, विवादित ढांचा के पक्षकार हाजी महबूब ने सुप्रीम कोर्ट से बाहर शुक्रवार को एक बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि यदि फैसला मुस्लिम पक्ष में आता है तो भी उक्त जगह पर मस्जिद का निर्माण नहीं होगा।
हम इस जमीन की बाउंड्री करके छोड़ देंगे। मैं सोचूंगा और विचार करूंगा कि उस जमीन पर क्या करना चाहिए। देश के हक में अमन और चैन रहे मेरी यही इच्छा है।
मोल्डिंग ऑफ रिलीफ को लेकर हिन्दू महासभा और मुस्लिम पक्षकारों ने सुप्रीम कोर्ट में पेश किया जवाब#Ayodhya #SupremeCourt #MoldingOfRelief @hindumahasabha3 @ALLINDIAMUSLIM1 https://t.co/CmyHgPIdAG
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मोल्डिंग ऑफ रिलीफ का प्रावधान सिविल सूट वाले मामलों के लिए होता है। इसका मतलब यह हुआ कि याचिकाकर्ता ने जो मांग अदालत से की है यदि वह नहीं मिलती तो एवज में कौन से विकल्प उसे दिए जा सकते हैं।
यानी यदि हमारे पहले दावे को नहीं माना जा सकता है तो किन नए दावों पर अदालत विचार कर सकती है। जहां तक अयोध्या मामले का सवाल है तो यदि विवादित जमीन का मालिकाना हक किसी एक पक्ष जाता है तो अन्य पक्षकारों को इसके बदले क्या मिले… हलफनामे के जरिए वे मांगों को रखते हैं।