अलकायदा चीफ़ अल जवाहिरी की अफगानिस्तान में मौत: रिपोर्ट

, , ,

   

दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकी संगठन अल कायदा के चीफ अल जवाहिरी की अस्थमा से मौत हो गई है।

 

भास्कर डॉट कॉम पर छपी खबर के अनुसार, अल जवाहिरी अफगानिस्तान की पहाड़ियों में छिपा हुआ था। वहां उसे सही इलाज नहीं मिला।

अरब न्यूज ने पाकिस्तान और अफगानिस्तान में मौजूद सूत्रों के हवाले से यह दावा किया है।

 

अल कायदा से जुड़े सूत्र ने अरब न्यूज को बताया कि 68 साल के अल जवाहिरी ने गजनी में पिछले सप्ताह दम तोड़ा। उसकी मौत अस्थमा से हो गई, क्योंकि उसे इलाज नहीं मिला।

 

जवाहिरी को सांस लेने में तकलीफ रहती थी। वह बुरी तरह बीमार था। उसके जनाजे में बहुत कम लोग शामिल हुए।

 

अमेरिकी खुफिया एजेंसी इस दावे की पड़ताल कर रही हैं। अल जवाहिरी और अब्दुल्ला अमेरिकी खुफिया एजेंसी FBI की मोस्ट वॉन्टेड आतंकियों की लिस्ट में शामिल थे। अल जवाहिरी पर ढाई करोड़ डॉलर का इनाम घोषित था।

 

जवाहिरी ने अमेरिकी हमले में ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद संगठन की कमान अपने हाथ में ली थी। इजिप्ट का रहने वाला जवाहिरी आंखों का डॉक्टर था। 2011 में वह अल कायदा का मुखिया बना।

 

दुनिया भर में कई जगह हुए आतंकी हमलों के पीछे उसका हाथ माना जाता है। 15 साल की उम्र में जवाहिरी को पहली बार गिरफ्तार किया गया था। 1974 में उसने केयरो यूनिवर्सिटी के मेडिकल स्कूल से ग्रैजुएशन किया था। यहां उसके पिता प्रोफेसर थे।

 

केन्या और तंजानिया में 1998 में अमेरिकी दूतावास में हुए आतंकी हमले की साजिश रचने वालों में जवाहिरी भी शामिल था। इस हमले में 224 लोगों की मौत हो गई थी।

 

2005 में लंदन में हुए बम धमाकों के पीछे भी जवाहिरी का ही दिमाग माना जाता है। इसमें 56 लोगों ने जान गंवाई थी। जवाहिरी ब्रिटेन को इस्लाम का सबसे बड़ा दुश्मन बताता था।

 

अल जवाहिरी के मरने की खबर अल कायदा के दूसरे नंबर के कमांडर अब्दुल्ला अहमद अब्दुल्ला उर्फ अबु मोहम्मद अल मासरी की मौत के कुछ दिन बाद आई है।

 

7 अगस्त को ईरान की राजधानी तेहरान में एक शूटआउट में अबु मोहम्मद मारा गया था। मासरी नैरोबी में 1998 में अमेरिकी दूतावास पर हमले का जिम्मेदार था।

 

हमले में उसकी बेटी मरियम भी मारी गई थी। मरियम ओसामा बिन लादेन की बहू थी।

 

लादेन के बेटे हमजा से उसका निकाह हुआ था। हमजा की 2019 में अमेरिका के एक काउंटर ऑपरेशन में मौत हो गई थी। एक के बाद एक टॉप के दोनों कमांडरों की मौत से अल कायदा की ताकत काफी कम हो सकती है।