मुस्लिम पक्षकारों ने अयोध्या मामले पर हाल में आये उच्चतम न्यायालय के निर्णय के खिलाफ पुनर्विचार अपील दाखिल किये जाने की इच्छा जताते हुए शनिवार को कहा कि मुसलमानों को बाबरी मस्जिद के बदले कोई जमीन भी नहीं लेनी चाहिये।
All India Muslim Personal Law Board to hold a meeting today in Lucknow to discuss the Ayodhya verdict & whether to file a review petition.
TIMES NOW’s Amir Haque with more details. Listen in. | #MasjidSideMeet pic.twitter.com/IugU9Roy52
— TIMES NOW (@TimesNow) November 17, 2019
इंडिया टीवी न्यूज़ डॉट कॉम के अनुसार, इन पक्षकारों ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के महासचिव मौलाना वली रहमानी से नदवा में मुलाकात के दौरान यह ख्वाहिश जाहिर की। हालांकि, अभी इसपर कोई फैसला नहीं लिया गया है।
#Breaking | Sunni Waqf Board UP chief Zafar Ahmad Farooqui & several other Masjid petitioners decide not to attend the meeting called by All India Muslim Personal Law Board to discuss future course in Ayodhya dispute.
TIMES NOW’s Amir Haque with details. Listen in. pic.twitter.com/1IsreF8wo6
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बोर्ड के सचिव जफरयाब जीलानी ने बताया कि मौलाना रहमानी ने रविवार को नदवा में ही होने वाली बोर्ड की वर्किंग कमेटी की महत्वपूर्ण बैठक से पहले रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले से जुड़े विभिन्न मुस्लिम पक्षकारों को राय जानने के लिये बुलाया था।
पहले यह मीटिंग नदवा में आज 10 बजे शुरू होने वाली थी लेकिन आखिरी मौके पर इसकी जगह को बदल दिया गया।
फिलहाल, AIMPLB की बैठक लखनऊ के मुमताज़ डिग्री कालेज में शुरू हो गई है। इस बैठक में अयोध्या मामले पर हाल में आये उच्चतम न्यायालय के निर्णय के खिलाफ पुनर्विचार अपील दाखिल करने या ना करने और कोर्ट द्वारा मिली जमीन को रखने या न रखने को लेकर चर्चा की जानी है।
बैठक के बाद 3:30 बजे AIMPLB एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके लिए गए फैसलों की जानकारी देगा।
हालांकि, इससे पहले बोर्ड के सचिव जफरयाब जीलानी ने कहा था कि मामले के मुद्दई मुहम्मद उमर और मौलाना महफूजुर्रहमान के साथ-साथ अन्य पक्षकारों हाजी महबूब, हाजी असद और हसबुल्ला उर्फ बादशाह ने मौलाना रहमानी से मुलाकात के दौरान कहा कि उच्चतम न्यायालय का निर्णय समझ से परे है, लिहाजा इसके खिलाफ अपील की जानी चाहिये।
इसके अलावा एक अन्य पक्षकार मिसबाहुद्दीन ने भी फोन पर बात करके यही राय जाहिर की। जीलानी ने बताया कि इन पक्षकारों ने यह भी कहा कि मुसलमानों को बाबरी मस्जिद के बदले कोई जमीन नहीं लेनी चाहिये।
मालूम हो कि उच्चतम न्यायालय ने रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में गत नौ नवम्बर को फैसला सुनाते हुए विवादित स्थल पर राम मंदिर का निर्माण कराने और मुसलमानों को मस्जिद निर्माण के लिये अयोध्या में किसी प्रमुख स्थान पर पांच एकड़ जमीन देने का आदेश दिया था।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव जीलानी ने इस निर्णय में अनेक विरोधाभास बताते हुए कहा था कि वह इससे संतुष्ट नहीं हैं।