मुस्लिम देशों में हथियार बेचने के लिए हमेशा रणनीति अपना रही है अमेरिका!

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने ईरान को बहाना बनाकर सऊदी अरब को घातक हथियारों की बिक्री का सिलसिला जारी रखा है और आले सऊद, ट्रम्प के कथनानुसार बिल्कुल वैसे ही ख़ामोश खड़े हैं जैसे दूध देने वाली गाय।

प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने एक बार फिर कांग्रेस द्वारा सऊदी अरब और संयुक्त अरब इमारात को हथियार न बेचने के पारित प्रस्ताव को वीटो करके यह सिद्ध कर दिया कि उनकी नज़र में मानवाधिकारों, इंसानों का जानों और तबाह होते देशों का कोई महत्व नहीं है।

क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति को किसी भी चीज़ की अगर चिंता है तो वह है केवल पैसा। इसीलिए ट्रम्प ने ईरान को ख़तरा बताते हुए सऊदी अरब को हथियारों की बिक्री रोकने के संबंध में कांग्रेस के प्रस्ताव को वीटो करते हुए सऊदी अरब को घातक हथियार बेचने के सिलसिले को जारी रखने की घोषणा की है।

पार्स टुडे डॉट कॉम के अनुसार, अमेरिकी सरकार ने इससे पहले ईरान के साथ बढ़ते तनाव को बहाना बनाकर कांग्रेस कमेटी को सूचित किया था कि वह सऊदी अरब, संयुक्त अरब इमीरात और जॉर्डन को 8 अरब डॉलर के घातक हथियार बेचना चाहती है।

एक बार फिर ट्रम्प ने ईरान का बहाना करके कांग्रेस के प्रस्ताव को वीटो कर दिया। ट्रम्प का सऊदी अरब के समर्थन में यह दूसरा वीटो है। इससे पहले ट्रम्प ने यमन के युद्ध में अमेरिका की भागीदारी के ख़िलाफ़ कांग्रेस द्वारा पारित किए गए क़ानून के ड्राफ़्ट को वीटो कर दिया था।

ट्रम्प का सऊदी अरब के लिए अंधे प्यार के बारे में अमेरिका के हार्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रेफेसर “लॉरेंस ट्राइप” का कहना है कि ट्रम्प प्रशासन का यह क़दम तुच्छ और अतार्किक है।

उन्होंने कहा कि आज अमेरिकी हथियारों की बदौलत सऊदी अरब, यमन में बड़े पैमाने पर यमनी बच्चों और आम नागरिकों का नरसंहार और मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन कर रहा है।

प्रोफेसर ट्राइप ने कहा अमेरिकी राष्ट्रपति के समर्थन के कारण आज सऊदी अरब, यमन में व्यापक रूप से युद्ध अपराध कर रहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के क़ानूनी ड्राफ़्ट को वीटो करना एक अलग मुद्दा है लेकिन वास्तविकता यह है कि अमेरिका के व्यापारी मध्यपूर्व में बड़े पैमाने पर हथियारों को बेचने में लगे हुए हैं जो इस पूरे क्षेत्र की तबाही का कारण बना हुआ है।

लॉरेंस ट्राइप ने कहा कि अमेरिका, हथियारों की बिक्री की दौड़ में यूरोपीय देशों से पीछे नहीं रहना चाहता। उन्होंने कहा कि हथियारों की बिक्री की दौड़ में अमेरिका ईरान को बहाना बनाकर क्षेत्र में बड़े पैमाने पर हथियार बेचने की नीति पर अग्रसर है।

अमेरिकी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर का कहना है कि यमन युद्ध अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प लिए हथियार बेचने का अच्छा बहाना है और ट्रम्प की नज़र में मानवाधिकार महत्वहीन है इसलिए वह उसपर ध्यान नहीं देते। प्रोफेसर लॉरेंस ने कहा कि ट्रम्प, यमन युद्ध में सऊदी अरब द्वारा अंजाम दिए जा रहे गंभीर अपराधों में बराबर के भागीदार हैं।