दिल्ली हिंसा: पीड़ितों ने भताई आपबीती, दिल्ली पुलिस की कार्यशैली पर सवाल!

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साहब, जिस दिन से दंगा शुरू हुआ, अगर उसी दिन पुलिस समय पर एक्शन ले लेती तो हिंसा नहीं होती।

 

खास खबर पर छपी खबर के अनुसार, दुकानें लूटी जा रही थीं, भीड़ हमारी जान लेने पर आमादा थी, तब बचाने के लिए पुलिस नहीं थी। दो जून की रोटी के लिए जूझते हम लोग खुद नहीं चाहते कि इलाके में हिंसा हो।

 

जब दिल्ली पुलिस के ज्वाइंट कमिश्नर नरेंद्र सिंह बुंदेला गुरुवार को हिंसा प्रभावित उत्तरी-पूर्वी दिल्ली का दौरा करने पहुंचे तो उनसे लोगों ने यही शिकायत की।

 

पांचवें दिन गुरुवार को हिंसा प्रभावित मौजपुर, जाफराबाद इलाके में पुलिस फोर्स के साथ ज्वाइंट कमिश्नर नरेंद्र सिंह बुंदेला लोगों का हालचाल लेने पहुंचे थे।

 

उन्होंने करीब डेढ़ बजे मौजपुर, विजय पार्क इलाके में सडक़ किनारे और गलियों में मौजूद लोगों से मिलकर उनका हालचाल पूछा।

 

लोगों का कहना था कि पुलिस तब सख्त हुई, जब दुकानें लूट ली गईं, तोडफ़ोड़ की गई और खून-खराबा हो चुका। सोमवार और मंगलवार को जाफराबाद से लेकर मौजपुर और बाबरपुर में मामूली पुलिस फोर्स तैनात रही। इस कारण उपद्रवी पुलिस पर भारी पड़े। बुधवार से हालात में जरूर सुधार आया।

 

मौजपुर के विजयपार्क के पास 65 वर्षीय एक महिला ने ज्वाइंट कमिश्नर को पैरों में लगी चोट दिखाते हुए कहा कि मैं चार-पांच दिनों से कुछ खाई नहीं हूं और न ही नहाई हूं। घबराहट के चलते मेरा ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ है।

 

महिला की बात सुनकर ज्वाइंट कमिश्नर बुंदेला ने कहा, आप घर जाकर आराम करिए और हम आपकी सुरक्षा के लिए ही यहां आए हैं।

 

उन्होंने कहा कि हिंसा में जो भी लोग शामिल हैं, उन्हें चिह्नित कर सख्त कार्रवाई की जा रही है। हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ मुकदमे भी दर्ज हो रहे हैं।

 

ज्वाइंट कमिश्नर ने लोगों से कानून-व्यवस्था दुरुस्त करने में सहयोग मांगा। स्थानीय लोगों ने कहा कि वे हिंसा में शामिल लोगों को चिह्नित करने में मदद करेंगे।