उत्तर प्रदेश सरकार ने ‘द वायर’ के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन को आदेश दिया है कि वह 14 अप्रैल को अयोध्या पहुँच वेबसाइट पर प्रकाशित एक ख़बर पर अपनी सफ़ाई दें।
योगी आदित्यनाथ सरकार ने यह आदेश ऐसे समय दिया है जब पूरे देश में लॉकडाउन है, सबसे घर के अंदर रहने को कहा गया है और हर तरह का परिवहन बंद कर दिया गया है।
वरदराजन को यह नोटिस उस खबर पर दी गई है जिसमें यह कहा गया था कि योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि ‘भगवान राम भक्तों को कोरोना वायरस से बचाएंगे।’
After sending 6-7 cops on Apr 10 in an unmarked car to order my presence in Ayodhya on Apr 14, the IO called y'day & offered to accept my "bayaan" by email—"because lockdown is on"! I was planning to email a response anyway—and have—but as there's no receipt, I'm posting it here. pic.twitter.com/0JFP24GscC
— Siddharth (@svaradarajan) April 13, 2020
अगले ही दिन सिद्धार्थ वरदराजन ने ट्वीट कर इसे सुधारा और कहा था कि यह मुख्यमंत्री ने नहीं कहा, अयोध्या मंदिर ट्रस्ट के प्रमुख आचार्य परमहंस ने ऐसा कहा है। खबर में भी इसे सुधार दिया गया था।
उन्होंने इस पर गुस्सा जताया कि लॉकडाउन के बावजूद पुलिस ने वरदराजन को अयोध्या बुलाया है।
When it comes to the gross abuse of police power by the Adityanath administration in UP and its intolerance of press freedom, it is clear that COVID-19, the lockdown and social distancing make no difference whatsoever. 1/5
— N S (@nandinisundar) April 10, 2020
इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी ख़बर में कहा है कि उत्तर प्रदेश पुलिस के लोगों के साथ दिल्ली पुलिस का एक आदमी भी वरदराजन के घर गया था। ख़बर के मुताबिक़, अयोध्या के सर्कल अफ़सर अमर सिंह ने इसकी पुष्टि की है।
SOS
*****Calling all journalists, institutes & organisations that value press freedom & oppose the suppression of speech by state officials to rally to the defense of @svaradarajan, editor of @thewire_in. He is being targeted by officials in the service of @myogiadityanath***** https://t.co/HZYZfcZlPm— Tunku Varadarajan (@tunkuv) April 10, 2020
वरदराजन ने 1 अप्रैल को अपने बयान में कहा था, ‘एफ़आईआर में जो कहा गया है कि मैंने यह कहा था कि प्रधानमंत्री की ओर से लॉकडाउन का एलान होने के बाद मुख्यमंत्री ने एक धार्मिक कार्यक्रम में भाग लिया था, यह रिकॉर्ड का मामला है।’
The Editors Guild of India has issued a statement pic.twitter.com/eCYKoY73BO
— Editors Guild of India (@IndEditorsGuild) April 2, 2020
गिल्ड ने यह भी कहा है कि इस तरह मीडिया को डराने की कोशिश या प्रवासी मज़दूरों के बड़े पैमाने पर पलायन के लिए मीडिया को ज़िम्मेदार ठहराने का नतीजा उल्टा होगा।
साभार- सत्या हिन्दी