देश का बंटवारा नहीं होता तो नागरिकता संशोधन विधेयक की जरूरत नहीं पड़ती- अमित शाह

   

इस समय पूरे देश में नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) का मुद्दा छाया हुआ है। कुछ लोग इसका जमकर विरोध कर रहे हैं। इनमें मुख्य रूप से नॉर्थ ईस्ट स्टेट के लोग हैं।

खास खबर पर छपी खबर के अनुसार, साथ ही कई विपक्षी दलों को भी यह हजम नहीं हो रहा है। हालांकि मोदी कैबिनेट की सहमति मिलने के बाद इसे सोमवार को लोकसभा में करीब सात घंटे चली बहस के बाद पास करा लिया गया था। बुधवार को राज्यसभा में इस पर मोहर लगवाने के लिए मशक्कत जारी है।

अमित शाह ने कहा – कपिल सिब्बल कह रहे थे कि मुसलमान आपसे नहीं डरता है। मैं भी तो यही कह रहा हूं कि भारत में रहने वाले किसी भी अल्पसंख्यक को, विशेषकर मुस्लिम भाइयों और बहनों को डरने की जरूरत नहीं है।

इस बिल से किसी की नागरिकता छिनने नहीं जा रही है। इस देश के गृह मंत्री पर सभी का भरोसा होना चाहिए, फिर वे बहुसंख्यक हो या अल्पसंख्यक।

अब गृह मंत्री अमित शाह दे रहे हैं राज्यसभा में जवाब। शाह ने कहा कि कुछ सदस्यों ने बिल को असंवैधानिक बताया। मैं सभी का जवाब दूंगा। अगर इस देश का बंटवारा नहीं होता तो ये बिल नहीं लाना पड़ता। देश की समस्यायों का समाधान लाने के लिए मोदी सरकार आई है।

कांग्रेस के सांसद गुलाम नबी आजाद ने कहा कि असम के डिब्रूगढ़ और गुवाहाटी में बिल को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहा है। नगालैंड और त्रिपुरा जल रहा है।

कैसे कह सकते हैं कि इस बिल से पूरा देश खुश है। पूर्वोत्तर के ज्यादातर राज्यों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। भूटान का धर्म क्या इस्लाम नहीं है। वो क्यों नहीं है। श्रीलंका इसमें क्यों नहीं है। नेपाल हमारा पड़ोसी देश है। ये समस्या श्रीलंका के हिंदुओं के साथ भी है। उनको क्यों नहीं जोड़ा गया।

भाजपा के सांसद सुब्रमण्यन स्वामी राज्यसभा में बोले, कांग्रेस इस नागरिकता संशोधन बिल को लेकर सदन को गुमराह करने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस खुद एनआरसी और नागरिकता बिल को लेकर कन्फ्यूज। लगता है कि कांग्रेस में संविधान को लेकर अशिक्षा दर ज्यादा है।