यूपी: धर्मान्तरण के खिलाफ़ बिल पास!

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यूपी में बढ़ते जबरन धर्मांतरण व लव जिहाद के मामलों पर लगाम कसने व दोषियों पर कार्रवाई को लेकर यूपी सरकार ने मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में उ.प्र. विधि विरुद्ध प्रतिषेद अध्यादेश 2020 को मंजूरी दे दी।

 

पत्रिका पर छपी खबर के अनुसार, अब कोई भी व्यक्ति अपना धर्म व पहचान छुपाकर यदि किसी युवती को अपने जाल में फंसाएगा, उससे शादी करेगा व उसका धर्म परिवर्तन कराएगा, तो उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

 

ऐसे करने पर दस वर्ष तक की सजा व 50000 रुपए जुर्माने लगेगा। वहीं यदि कोई स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन करना चाहता है तो उसे दो माह पूर्व जिला मैजिस्ट्रेट को इस बारे में अवगत कराना होगा।

 

यूपी सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि हाल में 100 से ज्यादा घटनाओं में जबरन धर्म परिवर्तन के मामले सामने आए हैं। जिसके अंतर्गत लड़कियों का उत्पीड़न व शोषण किया गया है।

 

छल व बल पूर्वक धर्म परिवर्तन करने जैसे मामलों के लिए बिल लाना जरूरी था। इसके लिए कड़े नियम बनाए गए हैं। ऐसे करने वालों को एक से पांच वर्ष तक की सजा व 15000 का जुर्माना देना होगा।

 

नाबालिग, जनजाति या अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के साथ यदि ऐसा हुआ तो आरोपी पर 3 से 10 वर्ष की सजा व 25000 रुपए का जुर्माना लगेगा है।

 

सामूहिक धर्म परिवर्तन करवाने वाले संगठन पर 50000 रुपए का जुर्माना व 3-10 साल तक की सजा का प्रावधान होगा।

स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन करने वालों को सहूलियत दी गई है। सिद्धार्थनाथ सिंह ने बताया कि जो धर्म परिवर्तन करके शादी करना चाहते हों उन्हें जिला मैजिस्ट्रेट को दो माह पूर्व बताना होगा। एक फॉर्म भरना होगा।

 

तब वह धर्म बदल सकते हैं। वहीं मामले में दोषी पाए गए लोग भी अपना मुकदमा दर्ज करा सकते हैं।

 

किसी भी धर्म के व्यक्ति को मनपसंद साथी चुनने का हक-
इससे पूर्व इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धर्मांतरण से जुड़े अपने ही फैसले को गलत ठहरा दिया था।

 

कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि किसी भी धर्म के व्यक्ति को मनपसंद साथी चुनने का हक है। इसमें किसी को दखल देने का अधिकार नहीं हैं।

 

कोर्ट ने कहा कि अनिवार्य रूप से यह मायने नहीं रखता कि कोई धर्मातरण वैध है या नहीं। एक साथ रहने के लिए दो बालिगों के अधिकार को राज्य या अन्य द्वारा नहीं छीना जा सकता है।

 

पहले कोर्ट ने पूर्व में केवल शादी के मकसद से किए गए धर्मांतरण को गलत ठहराया था। इसी फैसले के दम पर सीएम योगी ने भी एक जनसभा जल्द कानून बनाने का ऐलान किया था।

 

इस आधार पर यूप लॉ कमीशन ने कानून बनाने को लेकर अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी थी, जिसके बाद यूपी के गृह विभाग ने इसकी रूपरेखा तैयार की और न्याय एवं विधि विभाग से अनुमति ली थी।