प्रधानमंत्री मोदी NRC पर झूठ बोल रहे हैं या फिर अमित शाह ने देश को गुमराह किया?

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दिल्ली के रामलीला मैदान में 23 दिसंबर को हुई एक सभा में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि उनकी सरकार में NRC पर कोई बात नहीं हुई है. कोई चर्चा नहीं हुई है. उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वे लोग बेवजह हौवा खड़ा कर रहे हैं. देश के लोगों को गुमराह कर रहे हैं. प्रधानमंत्री का यह बयान तब आया है जब CAA कानून के खिलाफ देश भर हिंसक व अहिंसक विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं.

क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सच बोल रहे हैं ? देश के प्रधानमंत्री से उम्मीद की जाती है कि वह सार्वजनिक भाषणों में सच ही बोले. अगर प्रधानमंत्री सच बोल रहे हैं तो क्या उनकी सरकार के गृह मंत्री अमित शाह ने देश को गुमराह किया. लोकसभा में झूठ बोला. और अगर गृह मंत्री सही हैं तो क्या प्रधानमंत्री झूठ बोल रहे हैं.

अप्रैल 2019 में अमित शाह ने एक प्रेस कांफ्रेंस में स्पष्ट कहा था कि पहले CAA और फिर NRC लायेंगे.
बाद में अमित शाह देश के गृह मंत्री बने. CAB बिल पर चर्चा के दौरान उन्होंने लोकसभा में साफ साफ कहा कि अभी सीएबी लाया गया है. इसके बाद देश भर के लिए NRC लाया जायेगा. आपको यकीन ना हो तो यूट्यूब पर अमित शाह का प्रेस कांफ्रेंस और लोकसभा में दिये गये वक्तव्य को देख सुन सकते हैं.

फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को यह क्यों और कैसे कहा कि NRC पर अब तक कोई बात नहीं हुई है. जबकि पूरे देश ने अमित शाह के लोकसभा में दिये गये वक्तव्य को सुना है. तो क्या हमारे प्रधानमंत्री झूठ बोल रहे हैं. और अगर नहीं तो क्या अमित शाह ने देश को गुमराह किया. जिसके कारण आज पूरे देश में हिंसक आंदोलन हो रहा है.

 

अगर प्रधानमंत्री सच बोल रहे हैं कि उनकी सरकार में NRC पर ना ही कोई बात हुई है और ना ही कोई चर्चा. तो उन्हें यह भी स्वीकार करनी चाहिये कि गृह मंत्री अमित शाह ने देश को गुमराह किया है. अमित शाह के कारण ही देश भर में आज विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं. ऐसी स्थिति में प्रधानमंत्री अगर सच कह रहे हैं तो उन्हें देश को गुमराह करने के आरोप में अपने गृह मंत्री अमित शाह पर कार्रवाई करनी चाहिये.

उन सभी मंत्रियों और सांसदों की ट्विट व वक्तव्यों की जांच कर कार्रवाई करनी चाहिये, जिन्होंने पिछले 10-12 दिनों के दौरान देश भर में NRC लाने की बात कही है. अगर वह ऐसा कर पाते हैं, तब देश के सामने एक उदाहरण पेश होगा. तब कोई जिम्मेदार मंत्री देश को गुमराह करने के बारे में नहीं सोंचेगा. और तभी प्रधानमंत्री अपने वक्तव्य को सच साबित कर पायेंगे. अन्यथा वह देश से सामने झूठे साबित होंगे.