क्या कश्मीर में सेब सड़ रहे हैं?, सरकार का दावा कितना सही?

   

कश्मीर के मशहूर सेबों के बगीचे खाली पड़े हैं और पेड़ों पर लदे सेब सड़ रहे हैं. लेकिन सरकार का कहना है कि कश्मीर से सब कुछ ठीक है.

कश्मीर के सेबों के बगीचे वहां की लगभग आधी आबादी की आजीविका और अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं. पर ऐसे समय में जब उन्हें सेब चुनने वालों से भरा हुआ होना चाहिए था, आज वे खाली पड़े हैं और पेड़ों पर लदे सेब सड़ रहे हैं.

नुकसान बढ़ता जा रहा है पर बागी समूह सेब तोड़ने वालों, उनका व्यापार करने वालों और उन्हें दूसरे इलाकों तक ले जाने वालों पर लगातार दबाव बनाए हुए हैं. ऐसा वे भारत सरकार द्वारा हाल में उठाए गए कड़े कदमों का विरोध करने के लिए कर रहे हैं. सेब उगाने वाले इसे उनके पेट के खिलाफ छेड़ी गई एक शांत जंग कह रहे हैं.

इलाके के मुख्य शहर श्रीनगर से 60 किलोमीटर दूर एक छोटे से गांव वुयान में रहने वाले मोहम्मद शफी एक गड्ढे में फेंके हुए सड़े हुए सेबों के ढेर की तरफ इशारा करते हुए कहते हैं, “इन सेबों की कीमत लगभग 1200 अमेरिकी डॉलर थी, पर अब सब बेकार हैं”.

कश्मीर अपनी प्राकृतिक सुंदरता, स्की रिजॉर्ट, झीलों पर चलने वाले शिकारे और बागानों की वजह से लंबे समय से सैलानियों के आकर्षण का केंद्र रहा है. लेकिन पिछले 30 साल से विवादित कश्मीर के भारत द्वारा नियंत्रित हिस्से में एक सशस्त्र विद्रोह चल रह है.

अगस्त में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के धारा 370 हटाए जाने के फैसले के दो महीने बाद भी इस इलाके में संचार अवरोध लागू है. लैंडलाइन सेवाएं और कुछ हद तक मोबाइल सेवाएं बहाल कर दी गई हैं लेकिन इंटरनेट अभी भी बंद है. इससे व्यवसाय के लिए इलाके के बाहर के व्यापारियों से संपर्क करना मुश्किल हो गया है.

सेब उगाने वाले इस साल एक बंपर फसल की उम्मीद कर रहे थे. पर अब उनका कहना है कि करोड़ों रुपये का घाटा हो चुका है. बुधवार को दक्षिण शोपियां में पुलिस के अनुसार देर रात हुए एक हमले में संदिग्ध मिलिटेंटों ने एक सेब व्यापारी को गोली से मार दी और एक और को घायल कर दिया.

पुलिस ने कहा कि उसी दिन ईंटों की भट्टी में काम करने वाले एक प्रवासी मजदूर को भी गोली मार दी गई. इसके पहले मंगलवार को दो लोगों को गिरफ्तार किया गया था जिन पर शक है कि उन्होंने एक ट्रक चालक को गोली मारी. यह घटना उस सेब के बागान के निकट ही हुई जहां से उस चालक ने सेबों के 800 डब्बे उठाए थे.

6 सितंबर को उत्तरी सोपोर में अज्ञात बंदूकधारियों ने एक फल व्यापारी पर गोलियां चलाईं जिससे वह और उसके परिवार के 4 सदस्य घायल हो गए. नतीजा, बागानों से सेब चुनने वाले नदारद हैं और फल पक पक कर जमीन पर गिर रहे हैं.

सेबों का व्यापार, जिसमें 2017 में निर्यात का मूल्य 11,000 करोड़ रुपये से भी अधिक था, कश्मीर की अर्थव्यवस्था के पांचवे हिस्से के बराबर है और करीब 30 लाख लोगों को आजीविका देता है. इस साल 6 अक्टूबर तक 10 प्रतिशत से भी कम तोड़े गए सेब इलाके से बाहर जा पाए थे.

श्रीनगर में सेब उगाने वालों की एक यूनियन के अध्यक्ष बशीर अहमद बशीर का कहना है, “हमें इस झटके से उभरने में सालों लग जाएंगे”. सरकार ने सेब उद्योग को सहारा देने के लिए 4 थोक बाजार भी लगाए थे लेकिन 6 अक्टूबर तक उन बाजारों में सिर्फ 2 करोड़ रुपये के आसपास के सेब खरीदे गए थे, जबकि पूरी फसल के मूल्य को 13,000 करोड़ रुपये के आस पास आंका गया था.

साभार- डी डब्ल्यू हिन्दी