कश्मीर के मशहूर सेबों के बगीचे खाली पड़े हैं और पेड़ों पर लदे सेब सड़ रहे हैं. लेकिन सरकार का कहना है कि कश्मीर से सब कुछ ठीक है.
Apple growers in #Kashmir were expecting a bumper crop this year. Now, they say, losses are in the millions of dollars and the business might suffer its worst year since the beginning of the insurgency that has resulted in almost 70,000 deaths.https://t.co/DIwoe7Q9CE
— The New Indian Express (@NewIndianXpress) October 19, 2019
कश्मीर के सेबों के बगीचे वहां की लगभग आधी आबादी की आजीविका और अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं. पर ऐसे समय में जब उन्हें सेब चुनने वालों से भरा हुआ होना चाहिए था, आज वे खाली पड़े हैं और पेड़ों पर लदे सेब सड़ रहे हैं.
#Kashmir migrant attacks: Out-of-state truckers in #Shopian are facing restrictions on their movement with security forces preventing them from entering villages or #apple orchards following attacks on non-local apple traders, truckers and workershttps://t.co/0Ie27D9fCS
— Firstpost (@firstpost) October 18, 2019
नुकसान बढ़ता जा रहा है पर बागी समूह सेब तोड़ने वालों, उनका व्यापार करने वालों और उन्हें दूसरे इलाकों तक ले जाने वालों पर लगातार दबाव बनाए हुए हैं. ऐसा वे भारत सरकार द्वारा हाल में उठाए गए कड़े कदमों का विरोध करने के लिए कर रहे हैं. सेब उगाने वाले इसे उनके पेट के खिलाफ छेड़ी गई एक शांत जंग कह रहे हैं.
The unanticipated increase in the number of trucks carrying #Kashmiri apples reaching #Delhi's #Azadpur market is being attributed to the opening up of a blockade on the #Srinagar–#Jammu highway, which was put into effect after a landslide on 11 October.https://t.co/jUikANhdp0
— Firstpost (@firstpost) October 18, 2019
इलाके के मुख्य शहर श्रीनगर से 60 किलोमीटर दूर एक छोटे से गांव वुयान में रहने वाले मोहम्मद शफी एक गड्ढे में फेंके हुए सड़े हुए सेबों के ढेर की तरफ इशारा करते हुए कहते हैं, “इन सेबों की कीमत लगभग 1200 अमेरिकी डॉलर थी, पर अब सब बेकार हैं”.
कश्मीर अपनी प्राकृतिक सुंदरता, स्की रिजॉर्ट, झीलों पर चलने वाले शिकारे और बागानों की वजह से लंबे समय से सैलानियों के आकर्षण का केंद्र रहा है. लेकिन पिछले 30 साल से विवादित कश्मीर के भारत द्वारा नियंत्रित हिस्से में एक सशस्त्र विद्रोह चल रह है.
अगस्त में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के धारा 370 हटाए जाने के फैसले के दो महीने बाद भी इस इलाके में संचार अवरोध लागू है. लैंडलाइन सेवाएं और कुछ हद तक मोबाइल सेवाएं बहाल कर दी गई हैं लेकिन इंटरनेट अभी भी बंद है. इससे व्यवसाय के लिए इलाके के बाहर के व्यापारियों से संपर्क करना मुश्किल हो गया है.
सेब उगाने वाले इस साल एक बंपर फसल की उम्मीद कर रहे थे. पर अब उनका कहना है कि करोड़ों रुपये का घाटा हो चुका है. बुधवार को दक्षिण शोपियां में पुलिस के अनुसार देर रात हुए एक हमले में संदिग्ध मिलिटेंटों ने एक सेब व्यापारी को गोली से मार दी और एक और को घायल कर दिया.
पुलिस ने कहा कि उसी दिन ईंटों की भट्टी में काम करने वाले एक प्रवासी मजदूर को भी गोली मार दी गई. इसके पहले मंगलवार को दो लोगों को गिरफ्तार किया गया था जिन पर शक है कि उन्होंने एक ट्रक चालक को गोली मारी. यह घटना उस सेब के बागान के निकट ही हुई जहां से उस चालक ने सेबों के 800 डब्बे उठाए थे.
6 सितंबर को उत्तरी सोपोर में अज्ञात बंदूकधारियों ने एक फल व्यापारी पर गोलियां चलाईं जिससे वह और उसके परिवार के 4 सदस्य घायल हो गए. नतीजा, बागानों से सेब चुनने वाले नदारद हैं और फल पक पक कर जमीन पर गिर रहे हैं.
सेबों का व्यापार, जिसमें 2017 में निर्यात का मूल्य 11,000 करोड़ रुपये से भी अधिक था, कश्मीर की अर्थव्यवस्था के पांचवे हिस्से के बराबर है और करीब 30 लाख लोगों को आजीविका देता है. इस साल 6 अक्टूबर तक 10 प्रतिशत से भी कम तोड़े गए सेब इलाके से बाहर जा पाए थे.
श्रीनगर में सेब उगाने वालों की एक यूनियन के अध्यक्ष बशीर अहमद बशीर का कहना है, “हमें इस झटके से उभरने में सालों लग जाएंगे”. सरकार ने सेब उद्योग को सहारा देने के लिए 4 थोक बाजार भी लगाए थे लेकिन 6 अक्टूबर तक उन बाजारों में सिर्फ 2 करोड़ रुपये के आसपास के सेब खरीदे गए थे, जबकि पूरी फसल के मूल्य को 13,000 करोड़ रुपये के आस पास आंका गया था.
साभार- डी डब्ल्यू हिन्दी