मध्य नवंबर में ईरान की सरकार की तरफ से ईंधन तेल की की़मतों में वृद्धि और ख़रीद की सीमा तय करने के ऐलान के बाद से देशभर में विरोध प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया है ।
सरकार की तरफ से प्रति व्यक्ति 60 लीटर तेल प्रति माह की सीमा तय की गई । जिसमें वर्तमान मूल्य से पचास प्रतिशत अधिक मूल्य निर्धारित किया गया ।
In #Iran dead and dying protesters are being taken from hospitals and families being are charged for the bullets used to kill their loved ones. They've shut down the internet to try to stop this getting out. SHARE and expose the truth! #IranProtests @khamenei_ir pic.twitter.com/3ySDh720F0
— Amnesty UK (@AmnestyUK) November 29, 2019
यदि कोई व्यक्ति 1 माह में 60 लीटर तेल से अधिक लेता है तो अतिरिक्त लिए गए तेल पर वर्तमान में तेल के मूल्य से दो सौ प्रतिशत अधिक मूल्य पर भुगतान करना होगा
तेल की कीमतों में की गई इस वृद्धि के विरोध में जनमानस का आक्रोश फूट पड़ा, लोग सड़कों पर निकल आए और छोटे-बड़े विरोध प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया। रिपोर्ट के अनुसार विरोध प्रदर्शन ईरान के सौ से अधिक शहरों तक फैल गए।
A video which was recently received by Iran International shows security forces in Fars, #Iran, shooting at protesters from the rooftop of a security base during the November #IranProtests pic.twitter.com/2bc2R5gTWY
— Iran International English (@IranIntl_En) November 30, 2019
सरकार के लिए अप्रत्याशित विरोध ने प्रचंड रूप धारण कर लिया है । सरकार की ओर से तर्क प्रस्तुत किया गया है कि तेल की मूल्यवृद्धि से प्राप्त अतिरिक्त आय को गरीब परिवारों की आर्थिक सहायता नगद भुगतान के रूप में की जाएगी।
इस मूल्यवृद्धि से 1 वर्ष में सरकार के ख़ज़ाने में एक अनुमान के अनुसार एक अरब 20 करोड़ डॉलर की अतिरिक्त आय होगी
सरकार के तर्क से असहमत जनता और जनता के स्वभाविक आक्रोश से असहज ईरानी सरकार ने विरोध प्रदर्शनों को बलपूर्वक कुचलने का निर्णय लिया, परिणामवश बड़े पैमाने पर हिंसा हुई।
Shopkeepers go on strike in the western city of Sanandaj, #Iran to continue #IranProtests and commemorate fallen protesters killed by the regime. pic.twitter.com/wtkJ9bkrEL
— Iran News Wire (@IranNW) November 30, 2019
सरकारी बलों ने बड़े पैमाने पर प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाई, जिससे लोग सैकड़ों की संख्या में मरे और जख्मी हुए हजारों की संख्या में गिरफ्तारियां हुई ।
उधर प्रदर्शनकारियों का प्रदर्शन भी हिंसक हो गया । उन्होंने सरकारी संपत्ति को जलाया, नुकसान पहुंचाया । समाचार है कि इस संघर्ष में पासदराने इंकलाब और बासेज बल के लोग भी मारे गए।
united in one voice:
Mullahs regime must go!
Iranians in Stockholm in solidarity with #IranProtests calling for #FreeAllProtesters despite extreme cold- -4 C
@VOAIran @SweMFA @SwedishPM pic.twitter.com/ebyf0nNW2i— Zolal Habibi (@Ashrafi4ever) November 30, 2019
ईरानी असंतुष्टों की नेशनल रेजि़स्टेंस काउंसिल की रिपोर्ट के अनुसार मूल्य वृद्धि किए जाने के शुरुआती पांच दिनों में बीस बड़े शहरों में प्रदर्शनों के दौरान 251 लोग मारे गए एवं 3700 लोग जख्मी हुए। 7000 लोग गिरफ्तार किए गए और 100 से से अधिक प्रदर्शन के नेतृत्वकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया । इस प्रदर्शन में मारे गए सबसे कम आयु के प्रदर्शनकारी की आयु 13 वर्ष थी।
तेल कीमतों में वृद्धि के तीन कारण हो सकते हैं । अतिरिक्त आय, बजट खसारे को कम करना, तेल की खपत को एक सीमा में रखना।
ईरान की अर्थव्यवस्था पिछले साल की अपेक्षा एक तिहाई से भी भी कम हो गई है ईरान की जीडीपी और प्रति व्यक्ति आय का भी यही हाल है। जिससे सरकार आर्थिक रूप से काफी दबाव में हैं। ईरान सरकार के प्रवक्ता अली रबी के अनुसार ”ईरान एक मुश्किल दौर से गुज़र रहा है”।
ईरान में बेरोज़गारी पच्चीस सालों के चरम पर है। सरकार के अनुसार बेरोजगारी दर 12% है वास्तव में कहीं अधिक।
ऐसे में मुद्रास्फीति और बेरोज़गारी आसमान छूती महंगाई की मार झेल रही है ईरानी जनता पर तेल की कीमतों में इतना अधिक इजाफा मरे पर सौ दुर्रे के समान हैं।
ईंधन तेल की कीमतों में बढ़ोतरी जीवन के हर क्षेत्र को प्रभावित करती है और महंगाई का कारण बनती है ।
प्रदर्शनों के माध्यम से जनता को आशा थी कि सरकार पुनर्विचार करेगी या सुप्रीम लीडर वली फकी़ह खा़मनई साहब हस्तक्षेप कर कुछ राहत का सामान करेंगे लेकिन जनता की आशाओं के प्रतिकूल प्रधानमंत्री हसन रूहानी ने प्रदर्शनों को ”विदेशी षड्यंत्र” करार दिया और सुप्रीम लीडर ने सरकार की मूल वृद्धि का समर्थन किया।।
प्रदर्शन और प्रदर्शनकारियों के निर्मम दमन के उपरांत सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह खा़मनई का कहना था कि ”ईरान ने दुश्मनों को पस्पा कर दिया।”
इस समय ईरान की आर्थिक स्थिति बड़ी दयनीय है। ईरान के अर्थ तंत्र के चरमाराने के दो प्रमुख कारक हैं , वैश्विक प्रतिबंध और ईरान द्वारा वैचारिक सरहदों के निरंतर विस्तार पर किया गया व्यय एवं निवेश।
ईरान का सारा ज़ोर अपनी भौगोलिक सीमाओं से अधिक अपनी वैचारिक सीमाओं पर रहा है । निरंतर ईरान अपनी वैचारिक सीमाओं को बढ़ाने में प्रयासरत है और वैचारिक सीमाओं को बढ़ाने का सीधा अर्थ है निवेश, जो ईरान निरंतर कर रहा है।
ईरान की वर्तमान परिस्थितियां स्वाभाविक परिणाम है कमजोर दमनकारी गृहनीति और मजबूत विस्तारवादी विदेशी नीति का। आज ईरान की सामूहिक परिस्थितियां बहुत कुछ 80 के दशक के सोवियत रूस से मिलती-जुलती हैं
लेखक- मिर्ज़ा शिबली बेग