बिहार विधानसभा चुनाव में आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआइएमआइएम) को पांच सीटों पर मिली जीत से इसके मुखिया असदुद्दीन ओवैसी काफी उत्साहित हैं।
जागरण डॉट कॉम पर छपी खबर के अनुसार, उन्होंने पूरे बिहार में पार्टी का विस्तार करने और जिला स्तर पर संगठन खड़ा करने का फैसला किया है। इसके बारे में ओवैसी ने एआइएमआइएम के प्रदेश पदाधिकारियों को निर्देश दिया है।
एआइएमआइएम के एक प्रांतीय पदाधिकारी के मुताबिक पार्टी प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की ओर से बिहार में सभी 38 जिलों में संगठनात्मक ढांचा खड़ा करने का निर्देश दिए गए हैं।
जिला स्तर पर जो संगठन तैयार होगा उसमें हर वर्ग को प्रतिनिधित्व मिलेगा। साथ ही ओवैसी ने बंगाल चुनाव का भी हवाला देते हुए बंगाल-बिहार के सटे जिलों पर ज्यादा फोकस करने का निर्देश दिया है।
असदुद्दीन ओवैसी द्वारा अपनी पार्टी का बिहार में संगठन विस्तार के फैसले से मुस्लिम वोटों पर हक जताने वाली पार्टियों को चिंता में डाल दिया है।
बिहार में राजद और कांग्रेस के माथे पर बल पड़ गया है क्योंकि दोनों पार्टियों का बड़ा वोट बैंक मुस्लिमों का है और ओवैसी के जिला स्तरीय संगठन विस्तार से इनका बंटवारा तय माना जा रहा है।
इसका सीधा फायदा भविष्य में भाजपा को होगा। ऐसे में राजद-कांग्रेस की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।
दरअसल, ओवैसी की पार्टी ने बिहार में सीमांचल की जिन पांच सीटों पर जीत दर्ज की है, वह मुस्लिम बहुल है। यहां उन्होंने मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाकर राजद व कांग्रेस महागठबंधन को जबरदस्त नुकसान पहुंचाया है।
सीमांचल और कोसी क्षेत्र में दो दर्जन सीटों पर एआइएमआइएम चुनाव लड़ा और राजद व कांग्रेस के कई दर्जन भर उम्मीदवारों को हराने में बड़ी भूमिका निभायी।
राजनीतिक विश्लेषक भी मान रहे हैं कि ओवैसी फैक्टर चुनाव में बड़ा प्रभाव डालने से महागठबंधन को नुकसान हुआ क्योंकि ओवैसी ने सोच-समझकर मुस्लिम, यादव और अनुसूचित जाति के उम्मीदवार उतारे हैं जो महागठबंधन के वोट बैंक में सेंधमारी की कोशिश है।