असम NRC: मुश्किल बनता जा रहा है लोगों के लिए!

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राष्ट्रीय नागरिक पंजी से छूटे लोगों के भविष्य को लेकर असम विधानसभ के अध्यक्ष हितेंद्रनाथ गोस्वामी ने चिंता जताई है। उन्होंने लोगों के मुद्दें को मानवीय दृष्टिकोण से देखने की जरूरत पर बल देते हुए केंद्र और राज्य सरकार से इनके भविष्य को सुनिश्चित करने की मांग करते हुए पड़ोसी राष्ट्र से बातचीत करने की सलाह दी है।

डेली न्यूज़ पर छपी खबर के अनुसार, यहां विधानसभा सचिवालय स्थित अपने कार्यालय कक्ष में हुई एक भेंट में अध्यक्ष गोस्वामी ने हाल ही में जारी एनआरसी को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी।

बातचीत के क्रम में एनआरसी में तमाम स्थानीय मूल निवासियोंं के नाम शामिल नहीं होने के मुद्दें पर पुछे जाने पर उन्होंने कहा कि प्रकाशित एनआरसी 100 प्रतिशत शुद्नहीं है। आखिरकार 35 साल बाद असम को कुछ तो मिला है।

विदेशियों की शिनाख्त के लिए सभी को मिलाजुल कर आगे बढ़ना होगा। उन्होंने एनआरसी के प्रकाशन के बाद राज्यवासियों ने जो सहिष्णुता दिखाई उसकी प्रशंंसा की और भविष्य में सभी दल-संगठनों से संयम बरतने की अपील की