महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में रविवार को हुई हिंसा की तुलना 12 साल पहले 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकवादी हमले से की है।
खास खबर पर छपी खबर के अनुसार, ठाकरे ने हिंसा की निंदा करते हुए कहा कि हमलावरों ने अपने चेहरे क्यों ढक रखे थे? वे क्यों छिप रहे हैं?
'Shiv Sena has turned secular': Twitter trolls Uddhav Thackeray for comparing JNU violence to 26/11 https://t.co/g9Jd3OKuIy
— Free Press Journal (@fpjindia) January 6, 2020
मुझे 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमले की याद आ गई है। वे कायर हैं। उन्होंने कहा, हिंसा में लिप्त लोगों को बेपर्दा किए जाने की जरूरत है और उनके चेहरे को पूरे देश के सामने बेनकाब किया जाना चाहिए।
The government is busy with the #CAA when students are not secured in our country: #SanjayRaut, leader, #ShivSena https://t.co/YKI3qG0N4q
— IndiaToday (@IndiaToday) January 6, 2020
हिंसा पर कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी बयान जारी किया है। सोनिया ने कहा है कि आज देश में युवाओं और छात्रों की आवाज को दबाने के साथ उनका मजाक बनाया जा रहा है।
मोदी सरकार के संरक्षण में देश के युवाओं की आवाज को दबाकर गुंडों द्वारा हिंसा को बढ़ावा दिया जा रहा है। जेएनयू में छात्रों और फैकल्टी पर हुए हमले को सरकार के द्वारा लोगों की असहमति की आवाज को दबाने के लिए याद किया जाएगा।
लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने सोमवार को निंदा की और कहा कि विश्वविद्यालयों को राजनीति का अखाड़ा नहीं बनाया जाना चाहिए।
चिराग ने सोमवार को ट्वीट किया, कल (रविवार) देर रात जेएनयू में हुई घटना देख कर मैं विचलित हूं। जेएनयू प्रशासन की प्राथमिकता बच्चों की सुरक्षा है। बच्चों के अभिभावक इस दृश्य से बेहद चिंतित होंगे।
राजनीतिक दलों को विश्वविद्यालयों को राजनीति का अखाड़ा नहीं बनाना चाहिए।
विद्यार्थियों के साथ ऐसी घटना निंदनीय है। रविवार शाम सैकड़ों नकाबपोशों ने जेएनयू परिसर में घुसकर वहां छात्रों और शिक्षकों पर लाठी-डंडों और लोहे की छड़ों से हमला कर दिया था, जिसमें कई छात्र और शिक्षक घायल हो गए हैं।