बाबरी मस्जिद राम जन्मभूमि भूमी विवाद पर RSS को उम्मीद है कि फैसला उनके अनुरूप आयेगा। इसको लेकर संघ ने रणनीति बनाई है
#RSS in its key meeting held in the national capital has taken two key decisions that not only gave a breather to the #BharatiyaJanataParty but also brought a smile to its face https://t.co/LLlzkrRxgT
— National Herald (@NH_India) November 1, 2019
खास खबर पर छपी खबर के अनुसार, अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद देश में कानून एवं शांति-व्यवस्था के लिए किसी भी तरह की चुनौती न खड़ी हो, इसके लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ साल 2010 की पुरानी रणनीति पर काम करेगा।
The #RSS and #BJP leaders have been deliberating at length over the #RamJanmabhoomi case and have come up to a well-considered decision to ask their cadre and sympathisers to respect the #SupremeCourt verdicthttps://t.co/n3SG5e8peR
— Firstpost (@firstpost) November 1, 2019
फैसला जो भी आएगा, संघ उसे स्वीकार कर शासन और प्रशासन के साथ पूरा सहयोग करेगा। हालांकि संघ की बैठक में हिंदू भावनाओं के अनुरूप सुप्रीम कोर्ट से फैसला आने की उम्मीद जताई गई।
सुप्रीम कोर्ट की ओर से 17 नवंबर से पहले इस मामले में निर्णय देने की संभावना है।
यहां दिल्ली के छतरपुर में दो दिनों तक चली बैठक में संघ के शीर्ष नेताओं ने विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय किया है। बैठक में यह भी कहा गया कि फैसला राम मंदिर के पक्ष में आने के बाद भी हिंदू संगठन किसी तरह का जुलूस आदि निकालकर शक्ति प्रदर्शन न करें।
संघ व इससे जुड़े 36 प्रमुख सहयोगी संगठनों के पदाधिकारी व कार्यकर्ता अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों में पूरी गतिविधियों पर नजर रखेंगे।
कहा गया है कि जिस तरह से संघ के स्वयंसेवकों ने समाज के हर वर्ग के लोगों के साथ संपर्क और संवाद के जरिए 2010 में आए फैसले के बाद शांति-व्यवस्था बरकरार रखने में भूमिका निभाई थी, तब कहीं कोई अप्रिय घटना नहीं हुई थी, उसी रणनीति पर इस बार भी काम किया जाए।
बैठक में शामिल एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने आईएएनएस से कहा, “कुछ गलत ताकतें हमेशा इस ताक में रहतीं हैं कि कब देश और समाज को क्षति पहुंचाई जाए। राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अवसर पर भी विद्वेषपूर्ण घटनाएं हो सकतीं हैं।
खुराफाती ताकतें देश के सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने की कोशिश कर सकतीं हैं। शांति-व्यवस्था बनाए रखने के उपायों पर संघ परिवार ने विचार-विमर्श किया है।
प्रशासन अपने स्तर से काम करेगा और संघ परिवार अपने स्तर से करेगा। 2010 में आए कोर्ट के निर्णय के दौरान जिस तरह से संघ परिवार ने शांति व्यवस्था बरकरार रखने में भूमिका निभाई थी, उसी तरह इस बार भी किया जाएगा।”
संघ से जुड़े सूत्र बताते हैं कि 2010 में संघ ने हाईकोर्ट का फैसला आने से पहले सभी सहयोगी संगठनों को अलर्ट कर दिया था कि शांत होकर निर्णय स्वीकार करना है और किसी भी तरह की प्रतिक्रिया नहीं करनी है। तब संघ के स्वयंसेवकों ने स्वतंत्र रूप से काम करने वाले तमाम हिंदू संगठनों को भी इसके लिए राजी किया था।
सामाजिक संगठनों और प्रबुद्ध वर्ग के साथ संघ नेताओं ने बैठक कर कोर्ट के निर्णय पर संतुलित बयानबाजी और प्रतिक्रिया के लिए अनुरोध किया था। लोगों को किसी भी तरह की भड़काऊ बयानबाजी या फिर शक्ति प्रदर्शनों से बचने की सलाह दी थी।
नतीजा यह निकला कि 2010 में फैसला आने के बाद सबकुछ शांति से गुजर गया था। राजनीति दलों से लेकर सिविल सोसाइटी और धार्मिक संगठनों के साझा प्रयास से सामाजिक सौहार्द पर किसी तरह की आंच नहीं आई थी।