पाकिस्तान ने एक बार फिर भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप किया है। पाकिस्तान ने अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू करने के लिए भारत की आलोचना की है।
जागरण डॉट कॉम पर छपी खबर के अनुसार, पाकिस्तान की टिप्पणी पर अयोध्या के संत भड़क गए हैं। इस मामले में संतों से लेकर विवादास्पद ढांचे के पक्षकार इकबाल अंसारी तक ने पाकिस्तान को हिदायत दी है।
उन्होंने कहा कि पाक हमारे अंदरूनी मामलों में दखल न दे नहीं तो हम इस्लामाबाद में भी एक राम मंदिर बनाकर रहेंगे।
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने बुधवार को बयान जारी कर कहा कि एक ओर जहां दुनिया कोरोना वायरस महामारी से जूझ रही है। वहीं आरएसएस- भाजपा हिंदुत्व के अजेंडे में व्यस्त है।
अध्योध्या में मंदिर निर्माण की शुरुआत इस दिशा में एक और कदम है। यह दर्शाता है कि देश में मुसलमानों को कैसे हाशिए पर रखा जा रहा है? पाकिस्तान सरकार और यहां के लोग इसकी कड़ी निंदा करते हैं।
भारत ने राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पाकिस्तान द्वारा की गई अनुचित और बिना मतलब की टिप्पणियों को बार-बार खारिज किया है। उसका कहना है कि भारत के सुप्रीम कोर्ट के यह फैसला एक नागरिक मामले पर पूरी तरह से आंतरिक मामला है।
इस मामले में पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा कि राम मंदिर मुद्दे पर पाकिस्तान दखल न दे। पाकिस्तान कौन होता है आपत्ति करने वाला? आज तक पाकिस्तान ने कोई भी अच्छा काम नहीं किया, जो अब करेगा।
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले साल 9 नवंबर को राम जन्मभूमि शीर्षक मामले में अपने फैसले में कहा था कि विवादित भूमि के पूरे 2.77 एकड़ को देवता राम लला को सौंप दिया जाए, जो तीन पक्षकारों में से एक थे।
इसके अलावा अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिए अलग से जमीन देने की बात कही थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने 5-0 से फैसला सुनाया था।