पाकिस्तान में बदहाल अर्थव्यवस्था और कुशासन के आरोप झेल रहे पीएम इमरान खान के सामने एक बड़ी राजनीतिक चुनौती आ गई है. रविवार को उनकी सरकार के खिलाफ कराची से एक बड़ी रैली शुरू हुई जो राजधानी इस्लामाबाद तक मार्च करेगी.
#Pakistan : '#AzadiMarch ' Sets Out For #Islamabad From #Karachi To 'Topple' #ImranKhan 's Govthttps://t.co/hf6bHdm1lp
— ABP News (@ABPNews) October 28, 2019
इस रैली का आयोजन जमात ए इस्लामी (एफ) नाम की एक राजनीतिक पार्टी ने किया है जिसके हजारों कार्यकर्ता रविवार को कराची में जुटे और उन्होंने सरकार के खिलाफ मार्च शुरू किया.
रैली का नेतृत्व मौलाना फजलुर रहमान कर रहे हैं, जो एक ताकतवर धार्मिक राजनेता है और जेयूआई (एफ) के मुखिया हैं. उनका कहना है कि इमरान खान एक साल पहले चुनावों में धांधली के जरिए सत्ता में आए.
कराची में रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री इमरान खान को इस्तीफा देना होगा. लाखों लोग कराची में जमा हुए हैं. जब देश भर से लोग इस्लामाबाद पहुंचेंगे तो फिर सरकार क्या करेगी?”
The Jamiat Ulema-i-Islam-Fazl (#JUIF) '#AzadiMarch', led by its chief #MaulanaFazlurRehman to call for toppling the incumbent Pakistan Tehreek-e-Insaf (#PTI) government, has set out from #Karachi towards Islamabad.
Photo: IANS pic.twitter.com/qmj0uQCQjr
— IANS (@ians_india) October 28, 2019
रहमान को पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पीएमएल(एन) और पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और उनके बेटे बिलावट भुट्टो की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी का समर्थन भी मिल रहा है.
उम्मीद है कि जब रैली इस्लामाबाद पहुंचेगी तो उसमें लाखों लोग शामिल हो जाएंगे. रहमान ने कराची में कहा, “मैं इस्लामाबाद में बताऊंगा कि आगे क्या करना है.”
माना जा रहा है कि ये लोग इस्लामाबाद के बाहर धरने पर बैठेंगे और प्रधानमंत्री के निवास स्थान की तरफ जाने की कोशिश भी कर सकते हैं.
पाकिस्तान में इस तरह के लॉन्ग मार्च होते रहे हैं. इसके पहले भी कई धार्मिक गुटों के मार्च और धरनों की वजह से कई दिन इस्लामाबाद ठप्प रहा है. धार्मिक नेता रहमान संसदीय लोकतंत्र के समर्थक हैं और पिछली सरकारों में मंत्री भी रह चुके हैं.
जेयूआई (एफ) के प्रवक्ता मुफ्ती अबरार ने कहा कि इमरान खान की “अवैध सरकार” सेना के समर्थन से सत्ता में आई है. पिछले साल हुए चुनावों को कई बड़ी राजनीतिक पार्टियों ने खारिज किया था, लेकिन उन्होंने इनके खिलाफ कोई आंदोलन शुरू नहीं किया था.
राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ इमरान खान के सख्त रवैये और बदहाल अर्थव्यवस्था के कारण आखिरकार उनके विरोधी अब मैदान में उतर रहे हैं.
साभार- डी डब्ल्यू हिन्दी