एक बार फिर से मोदी सरकार के बनने के बाद सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के नए नारे के साथ देश के अल्पसंख्यकों को साथ लेकर चलने के लिए अल्पसंख्यक मंत्रालय ने सक्रियता दिखाते हुए देश के अल्पसंख्यक विद्यार्थियों के लिए अगले पांच वर्ष का खाका खींच दिया है।
ज़ी न्यूज़ पर छपी खबर के अनुसार, सरकार ने तय किया है कि देश भर के मदरसों में मुख्यधारा की शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए मदरसा शिक्षकों को विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों से प्रशिक्षण दिलाया जाएगा, ताकि वे मदरसों में मुख्यधारा की शिक्षा-हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान, कंप्यूटर आदि दे सकें। सरकार के इस फैसले पर सपा नेता और रामपुर से सांसद आजम खान ने निशाना साधा है।
उन्होंने कहा कि दो तरह के शिक्षा होती है. मदरसों में मजहबी तालीम दी जाती है। उन्हीं मदरसो में अंग्रेजी, हिन्दी, गणित पढ़ाई जाती है। उन्होंने कहा कि अगर मदद करनी है तो मदरसों का स्टैंडर्ड सही करना होगा। उन्होंने कहा कि झूठ बोलने, ठगी करने या धोखा देने से नुकसान हिन्दुस्तान का होगा।
सपा सांसद ने देश की बेसिक शिक्षा पर निशाना साधते हुए कहा कि जिस मुल्क में हमारी बेसिक शिक्षा अभी भी पेड़ों के नीचे बैठकर पढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि बच्चे घर से टाट-फट्टा लेकर जाते हैं। तो सवाल ये कि सरकार सिर्फ अल्पसंख्यकों को कहां से सहूलियत देगी।