बाबरी मस्जिद सुनवाई: मुस्लिम पक्षकार ने रखा बहुत बड़ा दलील!

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अयोध्या मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 23वें दिन की सुनवाई शुरू हुई। सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से पेश हो रहे वकील राजीव धवन ने एक छोटा ब्रेक मांगा, उनकी जगह बोर्ड की तरफ से वरिष्ठ वकील जफरयाब जिलानी ने अपनी दलीलें शुरू की।

ज़ी न्यूज़ पर छपी खबर के अनुसार, जिलानी ने पीडब्ल्यूडी की उस रिपोर्ट का हवाला दिया जिसमें कहा गया है कि 1934 के सांप्रदायिक दंगों में मस्जिद के एक हिस्से को कथित रूप से क्षतिग्रस्त किया गया था और पीडब्ल्यूडी ने उसकी मरम्मत कराई थी।

जिलानी ने कहा कि 1885 में निर्मोही अखाड़ा की दायर याचिका में विवादित जमीन के पश्चिमी सीमा पर मस्जिद होने की बात कही थी यह हिस्सा विवादित जमीन का भीतरी आंगन है।

जिलानी ने कहा कि निर्मोही अखाड़ा ने 1942 के अपने मुकदमे में भी मस्जिद का जिक्र किया है, जिसमे उन्होंने तीन गुम्बद वाले ढांचे को मस्जिद स्वीकार किया था।

जिलानी ने मोहम्मद हाशिम के बयान का हवाला देते हुए कहा, हाशिम ने आने बयान में कहा था कि उन्होंने 22 दिसबंर 1949 को बाबरी मस्जिद में नमाज पढ़ी थी।

ज़फरयाब जिलानी ने हाजी महबूब के बयान का हवाला देते हुए कहा कि 22 नवंबर 1949 को हाजी ने बाबरी मस्जिद में नमाज अदा की थी। उन्होंने एक गवाह के बारे में बताते हुए कहा कि 1954 में बाबरी मस्जिद में नमाज पढ़ने की कोशिश करने पर उस व्यक्ति को जेल हो गई थी।