इकबाल अंसारी, जिनके पिता हाशिम अंसारी जो बाबरी मस्जिद मामले में सबसे पुराने मुकदमेबाज थे, उन्होंने कहा कि वह खुश हैं कि मामला अपने तार्किक निष्कर्ष पर पहुंच रहा है
Plaintiff Iqbal Ansari has said that he would accept the #SupremeCourt decision in the #RamJanmabhoomi–#BabriMasjid title suit and would not file any petition challenging the verdict https://t.co/Qbrdjr8ihc
— National Herald (@NH_India) October 17, 2019
देश के सबसे पुराने और विवादित मुकदमों में शुमार अयोध्या की राम जन्म भूमि और बाबरी मस्जिद भूमि विवाद समाधान के आखिरी पड़ाव में है। इस केस पर 40 दिन तक रोजाना चली सुनवाई बुधवार को पूरी हो गई।
सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों की बहस सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। दीवाली के बाद किसी भी दिन इस मामले पर फैसला सुनाया जा सकता है। माना जा रहा है कि इस पर फैसला जल्द आ सकता है।
#Exclusive | I am an Indian & I will abide by the Constitution of India: Babri Masjid litigant Iqbal Ansari, in an EXCLUSIVE conversation with TIMES NOW’s Mohit Bhatt. Listen in. | #LutyensMocksMandirSide pic.twitter.com/hlWzTfU3Cs
— TIMES NOW (@TimesNow) October 16, 2019
न्यूज़ ट्रैक पर छपी खबर के अनुसार, अयोध्या विवाद मामले में वादी इकबाल अंसारी ने ऐलान किया है कि वह राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद शीर्षक मुकदमे में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को स्वीकार करेंगे और फैसले को चुनौती देने वाली कोई याचिका दायर नहीं करेंगे।
इकबाल अंसारी, जिनके पिता हाशिम अंसारी जो बाबरी मस्जिद मामले में सबसे पुराने मुकदमेबाज थे, उन्होंने कहा कि वह खुश हैं कि मामला अपने तार्किक निष्कर्ष पर पहुंच रहा है। लगभग 70 सालों तक, अयोध्या ने इस मामले पर सिर्फ राजनीति देखी है, अब मुधे उम्मीद है कि यहां कुछ विकास होगा।
With the RSS, VHP and Shiv Sena's conclaves and yatras to push for the Ram Mandir drawing closer, Babri litigant Iqbal Ansari expresses fears for his security, says visit by Shiv Sena chief Uddhav Thackeray and VHP's Dharm Sabha planned for 25th Nov may disturb peace in Ayodhya pic.twitter.com/vjMWHtnTDF
— TIMES NOW (@TimesNow) November 15, 2018
इकबाल अंसारी ने कहा कि उन्होंने अपने पिता द्वारा शुरू की गई लड़ाई को निभाने की कसम खाई थी और उन्होंने अपना वादा पूरा किया।मेरे पिता की मृत्यु जुलाई 2016 में हुई थी। वह 95 साल के थे। उन्होंने एक दर्जी के रूप में काम किया और फिर एक साइकिल मरम्मत की दुकान खोली।
वह 1949 से बाबरी टाइटल सूट से जुड़ा था और सार्वजनिक सौहार्द को भंग करने के लिए गिरफ्तार किए गए लोगों में भी उनका नाम था, जब मस्जिद में राम की मूर्तियां लगाई गई थीं। हाशिम अंसारी को 1952 में विवादित स्थल पर नमाज़ के लिए ‘अजान’ देने के लिए दो साल की जेल की सजा सुनाई गई थी।