प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुवाई में पांच न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ ने जरूरत पड़ने पर शनिवार को भी सुनवाई करने की उम्मीद जताई है
अयोध्या मामले में जैसे-जैसे बहस समाप्त करने की समय-सीमा ’18 अक्टूबर’ नजदीक आती जा रही है, कोर्ट के अंदर तीखी बहस होने की उम्मीद भी बढ़ गई है। राजनैतिक रूप से संवेदनशील इस 70 वर्ष पुराने मामले में सक्रिय सुनवाई के लिए अब केवल आठ दिन ही बचे हैं।
#RamMandir – #BabriMasjid: They say it is wrong to point out their communal divisivness.
They Hindu parties are nothing but story tellers.
Some say Babur, some Aurangzeb. Some say mosque was there, some say no, Dhavan.
— Bar & Bench (@barandbench) October 4, 2019
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुवाई में पांच न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ ने जरूरत पड़ने पर शनिवार को भी सुनवाई करने की उम्मीद जताई है।
हिंदू और मुस्लिम पक्षों के वकीलों के बीच मंगलवार को तीखी बहस हुई। रामलला विराजमान की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सी.एस. वैद्यनाथन द्वारा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के समर्थन में अपना पक्ष रखने पर मुस्लिम पक्षों ने हस्पक्षेप किया, जिसपर धैर्य के साथ मामले की कार्यवाही को आगे बढ़ा रहे प्रधान न्यायाधीश गोगोई ने मुस्लिम पक्ष के वकील को बार-बार एक ही बात दोहरान पर फटकार लगाई।
#RamMandir – #BabriMasjid: A mosque is where one prays to Allah, Rajeev Dhavan.
Is a mosque divine? SA Bobde J.
It is always divine, Dhavan.
Is it dedicated to Allah? Bobde J.
— Bar & Bench (@barandbench) October 4, 2019
सुनवाई के दौरान शांत रहने वाले वैद्यनाथन भी इससे परेशान हो गए और मुस्लिम पक्ष के वकील को जवाब देने के लिए माइक्रोफोन पर अपनी आवाज तेज कर दी। कुछ देर के लिए अदालत में अफरा-तफरी का माहौल बन गया।
#RamMandir – #BabriMasjid: Vaidyanathan says highest court should not be used for drama.
Dhavan says they are pointing fingers at his style of argument.
"I am making some legal propositions", Dhavan.
— Bar & Bench (@barandbench) October 4, 2019
वरिष्ठ वकील राजीव धवन की अगुवाई में सुन्नी वक्फ बोर्ड शुक्रवार को अपने मुकदमे के पक्ष में बहस शुरू करेगा और उम्मीद है कि बहस 14 अक्टूबर से शुरू हो रहे सप्ताह के बीच समाप्त हो जाएगा।
#RamMandir – #BabriMasjid: On a lighter note:
Justice Bobde to SK Jain: You have to argue so that we understand your point, you don't have to argue till we agree with you. We have understood your point on limitation but does not mean we have to agree with you
— Bar & Bench (@barandbench) October 3, 2019
धवन ने मुस्लिम पक्षों की ओर से लगभग दो सप्ताह पहले ही ढेर सारे तर्क पेश कर दिए हैं। वह अपनी बहस में काफी तर्कयुक्त रहे हैं, हालांकि अदालत के अंदर अपने व्यवहार के लिए एकबार उन्होंने माफी भी मांगी, लेकिन बहस से कभी पीछे नहीं हटे।
#RamMandir – #BabriMasjid: Dhavan reading out submissions of one of the Hindu parties.
"It says Constitution is voidable ab initio and UP Waqf Act was an atrocity by British", Dhavan says.
You attack my mosque destroy it and then call me harasser, Dhavan.
— Bar & Bench (@barandbench) October 4, 2019
मुस्लिम पक्षों द्वारा बहस पुरी होने के बाद, हिंदू पक्ष के पास उनके बहसों का जवाब देने के लिए दो या तीन दिन होंगे। इसलिए अयोध्या मामले का काफी महत्वपूर्ण पड़ाव सामने आ गया है। नौ वर्षो के बाद मामले पर फैसला आने वाला है और अब मामले में अंतिम बहस को समाप्त होने में बमुश्किल एक सप्ताह बचा है।
#AyodhyaCase
Sr. Adv. Dhavan for the Sunni Waqf Board re-emphasised his earlier argument that a right cannot be claimed on the basis of illegal acts.He was alluding to the placement of Hindu idols in the mosque in 1949 and the 1992 demolition of #BabriMasjid
4/n— Supreme Court Observer (@scobserver) October 4, 2019
यह जाहिर है कि इस महत्वपूर्ण पड़ावों में प्रतिस्पर्धात्मक और भावनात्मक रूप से आवेशित वातावरण का निर्माण होगा, जैसा कि मंगलवार को हुई बहस के दौरान देखा गया था।
मुस्लिम पक्षों द्वारा लगातार हस्तक्षेप ने राम लला और वैद्यनाथन का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील के. परासरण को भी परेशान कर दिया। वकील हालांकि तीखी बहस के दौरान शांत बने रहे जिसमें हिंदू विश्वास और मान्यताओं को निशाना बनाया गया।
खास खबर पर छपी खबर के अनुसार, हिंदू पक्ष विवादित भूमि पर सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष अपना पक्ष रखने के लिए दो महत्वपूर्ण पहलुओं को स्थापित करने की प्रक्रिया में हैं। पहला राम जन्मभूमि है-जोकि विवादित ढांचे के केंद्रीय गुंबद के नीचे की भूमि में एक न्यायिक इकाई के रूप में भगवान राम के जन्मस्थान के रूप में है, जो कानून के अधीन है।
दूसरा, इलाहबाद उच्च न्यायालय के 2010 के फैसले में एएसआई रिपोर्ट की विश्वसनीयता है। रिपोर्ट में बाबरी मस्जिद के नीचे एक हिंदू मंदिर के अवशेष के बारे में बताया गया है। रणनीतिक रूप से, हिदू पक्ष उच्च न्यायालय के फैसलों का अपने बहस में उदाहरण देते हैं, जोकि लगभग 6,000 पन्नों का है।
परासरण ने भूमि को न्यायिक इकाई के रूप में देखने को लेकर अपना पक्ष रखा, जोकि कानून के अधीन है। मुस्लिमों ने इस तर्क को खारिज कर दिया और दावा किया कि बाबरी मस्जिद का मध्य गुंबद राम की जन्मस्थली नहीं है।
अदालत ने परासरण से उनके बहस को लेकर कहा कि उनके तर्को का बड़ा प्रभाव हो सकता है, क्योंकि कोई भी भूमि में देवत्व (डिवीनिटी) का दावा लेकर अदालत पहुंच सकता है। इसपर परासरण ने स्पष्ट किया कि अदालत को इसे हिंदू संस्कृति और परंपरा के आधार पर देखना चाहिए। इसपर विपक्षी पक्षों ने तीखी प्रतिक्रिया दी।