अब रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले के पक्षकारों को 17 अक्टूबर तक बहस पूरी करनी होगी
Supreme Court said that the arguments in the Ayodhya land case will be completed by October 17. Earlier, the Court had given the date of completion of submissions of arguments by October 18. pic.twitter.com/HFTGwu8etZ
— ANI (@ANI) October 4, 2019
सुप्रीम कोर्ट ने रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले की बहस पूरी करने की नई समय सीमा तय की है। शीर्ष अदालत ने मामले के सभी पक्षकारों से कहा कि वो 17 अक्टूबर तक बहस पूरी कर लें। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने बहस पूरी करने के लिए 18 अक्टूबर की तारीख तय की थी।
#अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने तय की नई डेडलाइन, बहस का एक दिन और कम – Supreme court sets fresh deadline for ayodhya ram janmabhoomi babri masjid case arguments to end 17 oct 2019 atrc – AajTak https://t.co/WOYc09ElV3
— mohan lal jat (मोदी का परिवार) (@Mohanlaljat6) October 4, 2019
खास खबर पर छपी खबर के अनुसार, अब बहस पूरी करने के लिए एक दिन कम कर दिया गया है। अब रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले के पक्षकारों को 17 अक्टूबर तक बहस पूरी करनी होगी।
वहीं, सुप्रीम कोर्ट में 37वें दिन भी रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले की सुनवाई जारी रही। शुक्रवार को मुस्लिम पक्ष की तरफ से सीनियर एडवोकेट राजीव धवन ने अपनी दलीलें शुरू कीं।
Ayodhya case: Supreme Court to wrap up hearing on Oct 17 #AyodhyaCase #SupremeCourt https://t.co/Yg3CI33l4S
— India TV (@indiatvnews) October 4, 2019
इस दौरान जस्टिस बोबड़े ने पूछा कि क्या इस्लाम में देवत्व को किसी वस्तु पर थोपा जाता है? इस पर मुस्लिम पक्ष ने कहा कि दोनों धर्मों में ऐसा ही होता है, इस्लाम में मस्जिद इसका उदाहरण है।
#Breaking | Big development in the Ayodhya case.
Supreme Court says arguments to conclude on October 17, a day earlier than the earlier schedule.
TIMES NOW’s Harish Nair with details. Listen in. pic.twitter.com/sW6aJheLYF— TIMES NOW (@TimesNow) October 4, 2019
जस्टिस बोबड़े ने कहा कि हम हमेशा सुनते हैं कि ऐसा कुछ नहीं है, आप अल्लाह की पूजा करते हैं ना कि किसी वस्तु की। हम देखना चाहते हैं कि क्या किसी संस्था ने मस्जिद को पूज्य माना है, क्योंकि सिर्फ अल्लाह को पूजे जाने की बात आती है।
इस दौरान सीनियर एडवोकेट राजीव धवन ने कहा कि हिंदू पक्षकार बाबर पर मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने का इल्जाम लगाते हैं, लेकिन बाबर कोई विध्वंसक नहीं था। मस्जिद तो मीर बाकी ने एक सूफी के कहने पर बनाई थी. इस दौरान उन्होंने पढ़ा कि ‘है राम के वजूद पर हिन्दोस्तां को नाज़ अहले नज़र समझते हैं उसको इमाम ए हिन्द।’
मस्जिद पर हमले के बाद मुस्लिमों को मिला था मुआवजा : राजीव धवन
सीनियर एडवोकेट राजीव धवन ने कहा कि 1855 में एक निहंग वहां आया और उसने वहां गुरु गोविंद सिंह की पूजा की और निशान लगा दिया था। हालांकि बाद में सारी चीजें हटा दी गई थीं।
ब्रिटिश गवर्नर जनरल और फैज़ाबाद के डिप्टी कमिश्नर ने भी पहले बाबर के फरमान के मुताबिक मस्जिद के रखरखाव के लिए रेंट फ्री गांव दिए थे और फिर राजस्व वाले गांव दिए थे। आर्थिक सहायता के चलते ही दूसरे पक्ष का एडवर्स पजिशन नहीं हो सका।
राजीव धवन ने कहा कि साल 1934 में मस्जिद पर हमले के बाद नुकसान की भरपाई के लिए मुस्लिमों को मुआवजा भी दिया गया। 10 दिसंबर 1884 में भी एक बैरागी फकीर मस्जिद की इमारत में घुसकर बैठ गया था। जब प्रशासन की चेतावनी के बावजूद वह बाहर नहीं निकला, तो उसको जबरन निकाला गया था और उसका लगाया झंडा भी उखाड़ा गया था।
36वें दिन की सुनवाई में खास
सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को हिंदू पक्षकार ने अपनी दलीलें रखी। गुरुवार को पहले रामलला के वकील की ओर से पक्ष रखा गया, फिर निर्मोही अखाड़ा और बाद में गोपाल सिंह विशारद की ओर से पक्ष रखा गया। निर्मोही अखाड़ा की ओर से एडवोकेट सुशील जैन ने बहस की शुरुआत की। उन्होंने कोर्ट से कहा कि अब ये सुनवाई 20-20 जैसी हो गई है।