बाबरी मस्जिद मामला: क्या हिंदू पक्ष ने मध्यस्थता का विरोध किया?

   

दिल्ली: अयोध्या में रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद के मामले की सुनावई पर सुप्रीम कोर्ट ने आगे की रूपरेखा तय कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 5 जजों की बेंच 6 अगस्त से रोजाना इस मामले की सुनवाई करेगी। आपको बता दें कि रोजाना सुनवाई से मतलब हफ्ते में तीन दिन से है और इस केस की मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को सुनवाई होगी। सोमवार और शुक्रवार को सुनवाई इसलिए नहीं हो सकती क्योंकि उस दिन सिर्फ नए केस सुने जाते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि अब इस मामले की सुनवाई तब तक चलेगी, जब तक कोई नतीजा नहीं निकल जाता है। इससे पहेल मंदिर विवाद पर हिंदू और मुस्लिम पक्षों के बीच आम सहमति बनाने के लिए अयोध्या मध्यस्थता पैनल को 31 जुलाई तक का समय दिया गया था।

खबरों के मुताबिक, 155 दिन के विचार विमर्श के बाद मध्यस्थता समिति ने रिपोर्ट पेश की और कहा कि वह सहमति बनाने में सफल नहीं रही है। हिंदू पक्ष ने मध्यस्थता का कड़ा विरोध किया वहीं मुसलमान पक्ष का कहना है कि समिति को उनका समर्थन था।

इंडिया टीवी न्यूज़ डॉट कॉम के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही कहा था कि यदि आपसी सहमति से कोई हल नहीं निकलता है तो रोजाना सुनवाई होगी। सीलबंद लिफाफे की रिपोर्ट के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने आज आगे की कार्यवाही तय की।

आपको बता दें कि मध्यस्थता पैनल की अगुवाई पूर्व न्यायाधीश एफ. एम. आई. कलीफुल्ला कर रहे थे। पैनल के अन्य 2 सदस्य आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीराम पंचू थे।