सुप्रीम कोर्ट में आज अयोध्या- बाबरी मस्जिद विवादित जमीन की सुनवाई अंतिम चरण में प्रवेश कर जाएगी। पिछली सुनवाई में सुन्नी वक्फ बोर्ड की अपील पर दलीलें रखी गई थीं।
Sec 144 in Ayodhya till Dec 10 in anticipation of title suit verdict
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इससे पहले हिंदू पक्ष ने स्कंद पुराण का हवाला देकर कहा था कि राम जन्मस्थान के दर्शन से मोक्ष मिलता है। रामलला के वकील पीएस नरसिम्हा ने कहा था कि स्कंद पुराण बाबर के भारत आने और वहां मस्जिद बनने से बहुत पहले का है जो उस स्थान की महत्ता साबित करता है।
We constituted a small team to free Lord Ram: Santosh Dubey, Kar Sewak tells TIMES NOW on ‘The Ayodhya Story’. pic.twitter.com/gcjtRBM4r0
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पिछली सुनवाई पर मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि वे 14 अक्टूबर को अपनी दलीलें पूरी कर लेंगे।
The decision to impose Section 144 was taken while considering the upcoming festivals. #AyodhyaDisputehttps://t.co/buRmkCrZC7
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फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट ने तय किया है कि आज मुस्लिम पक्ष की दलील खत्म होने के बाद 15 और 16 अक्टूबर को हिंदू पक्षों को जवाबी बहस का मौका दिया जाएगा।
मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नई डेड लाइन तय करते हुए कहा था कि 17 अक्टूबर तक तीनों पक्षों को अपनी दलीलें पूरी कर लेनी होगी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की ओर से 18 अक्टूबर की डेडलाइन निश्चित की गई थी।
Listen in: Rajeev Dhawan, Lawyer, Sunni Waqf Board puts forth his view on ‘The Ayodhya Story’. pic.twitter.com/G5qbHEbxN0
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इस बीच अयोध्या में धारा-144 लगा दी गई है। अयोध्या के जिलाधिकारी अनुज कुमार झा ने बताया कि अयोध्या भूमि विवाद मामले में फैसले की संभावना और आने वाले त्यौहारों को देखते हुए 10 दिसंबर तक जिले में धारा-144 लागू रहेगी।
From demolition to the final verdict, Vivek Narayan narrates the Ram Mandir Saga this weekend.
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इस केस में 17 नवंबर तक फैसला आने की उम्मीद है। इसी दिन सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई भी सेवानिवृत्त हो रहे हैं। मामले की सुनवाई कर रही संवैधानिक पीठ के सदस्यों में मुख्य न्यायाधीश के साथ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एसए नजीर भी शामिल हैं।
बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 30 सितंबर 2010 को अपने फैसले में अयोध्या केस में जमीन को तीन बराबर हिस्सों में बांटने को कहा था। विवादित जमीन का एक हिस्सा रामलला विराजमान को दूसरा निर्मोही अखाड़ा और तीसरा हिस्सा मुस्लिम पक्ष को दिया गया था।
यही नहीं रामलला विराजमान को वही हिस्सा दिया गया था जहां वे विराजमान हैं। फैसले को सभी पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में यथास्थिति कायम रखने का निर्देश जारी किया था। साल 2010 से लंबित इस केस में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने बीते छह अगस्त से रोजाना सुनवाई का फैसला किया था।