बाबरी मस्जिद मामले में मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में इस बात का जवाब दाखिल किया!

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मुस्लिम पक्ष ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि उन्होंने ‘मोल्डिंग ऑफ रिलीफ’ पर अपना जवाब दाखिल कर दिया है। साथ ही वह सीलबंद लिफाफे में दूसरे पक्ष द्वारा उठाए गए आपत्तियों पर जवाब दाखिल कर रहे हैं।

अमर उजाला पर छपी खबर के अनुसार, अदालत ने मुस्लिम पक्षकारों को अपने लिखित नोट उसके रिकॉर्ड में रखने की अनुमति दी। वहीं हिंदू पक्षकारों और शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री ने मुस्लिम पक्षकारों द्वारा सीलबंद लिफाफे में अपने लिखित नोट दायर कराने पर आपत्ति जताई।

अयोध्या मामले में 40 दिनों की सुनवाई के दौरान जिस शब्द ने सबका ध्यान खींचा वो रहा मोल्डिंग ऑफ रिलीफ। इसका प्रावधान सिविल सूट वाले मामलों के लिए किया जाता है।

सुप्रीम कोर्ट आर्टिकल 142 और सीपीसी की धारा 151 के तहत इस अधिकार का इस्तेमाल करता है। याचिकाकर्ता कोर्ट के पास अपनी मांग के साथ पहुंचता है और अगर वो मांग पूरी नहीं हो पाती तो वो कौन सा विकल्प है जो उसे दिया जा सकता है।

अयोध्या मामले के परिपेक्ष्य में देखें तो एक से अधिक दावेदारों के विवाद वाली जमीन का मालिकाना हक किसी एक पक्ष को मिलेगा तो अन्य पक्षों इसके बदले क्या मिलेगा।

कोर्ट ने मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पर सभी पक्षों को लिखित नोट देने के लिए तीन दिन की मोहलत दी थी। हालांकि यह देखने वाली बात होगी कि इस मामले में मोल्डिंग ऑफ रिलीफ सिद्धांत किस हद तक लागू किया जा सकता है। पीठ ने स्पष्ट कर दिया था कि अब कोई मौखिक बहस नहीं होगी।