बांग्लादेशी जूट के थैली प्लास्टिक उपयोग कम करने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं!

   

दुनिया भर के देश प्लास्टिक के थैलों को घटाने के लिए मुहिम चला रहे हैं। यह बांग्लादेश के लिए एक बड़े मुनाफे का कारोबार बन सकता है. यहां बनने वाले जूट के थैले प्लास्टिक का उपयोग कम करने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।

डी डब्ल्यू हिन्दी पर छपी खबर के अनुसार, भारत के बाद दुनिया में सबसे ज्यादा जूट बांग्लादेश में पैदा होता है। गोल्डेन फाइबर के नाम से विख्यात इन रेशों की कीमत भी कभी बहुत ज्यादा हुआ करती थी लेकिन समय के साथ मांग घटी तो उसकी चमक फीकी पड़ गई।

अब एक बांग्लादेशी वैज्ञानिक ने जूट के रेशों को कम कीमत में जैविक रूप से अपघटित होने वाले सेल्यूलोज की शीट में बदलने का तरीका ढूंढ निकाला है। इसका फायदा यह है कि दिखने में यह प्लास्टिक जैसा होने के साथ ही पर्यावरण के अनुकूल और आसानी से नष्ट होने वाला होगा।

बांग्लादेश की सरकारी जूट मिल्स कॉर्पोरेशन (बीजेएमसी) के वैज्ञानिक सलाहकार और जूट के नए बैग बनाने वाली टीम के मुखिया मुबारक अहद खान का कहना है, इसके भौतिक गुण लगभग एक जैसे ही हैं।

उनका कहना है कि ये थैले तीन महीने मिट्टी में दबा कर रखने के बाद पूरी तरह से अपघटित हो जाते हैं और इन्हें रिसाइकिल भी किया जा सकता है।

बांग्लादेश अब प्रायोगिक तौर पर हर दिन 2000 थैले बना रहा है हालांकि इसके कारोबारी उत्पादन को तेजी से बढ़ाने की योजना है। इसके लिए एक विदेशी कंपनी से करार भी हो गया है।

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इसी साल मार्च में इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे लोगों से “गोल्डेन बैग के व्यापक इस्तेमाल को तेज करने में मदद” का अनुरोध किया था।

अप्रैल में सरकार ने बांग्लादेश के क्लाइमेट चेंज ट्रस्ट फंड से 9 लाख डॉलर धन भी मुहैया कराया ताकि इन थैलों का बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू हो सके। बीजेएमसी के जेनरल मैनेजर ममनूर राशिद ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया, “एक बार प्रोजेक्ट पूरी तरह से चलने लगा तो हम सोनाली बैग को छह महीने के भीतर कारोबारी रूप से बनाने की उम्मीद कर रहे हैं।