बिहार चुनाव: ओवैसी को टक्कर देने के लिए कांग्रेस ने इमरान प्रतापगढ़ी को चुना!

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बिहार विधानसभा चुनाव की सियासी बिसात पर सभी राजनीतिक पार्टी मोहरें बिछाने में जुट गई है। 

 

प्रभात खबर पर छपी खबर के अनुसार, पहले चरण में होने वाली 71 सीटों पर चुनाव के लिए जल्द ही प्रचार प्रसार भी शुरू हो जाएगा. ऐसे में कांग्रेस ने भी युद्ध स्तर की तैयारी कर रही है। चुनाव में कांग्रेस अपनी सीट और वोटा बैंक को बचाने की मशक्कत में लगी है।

 

 

कांग्रेस को जहां बीजेपी और जेडीयू की एनडीए से सामना है, वहीं कांग्रेस के वोटबैंक में एआईएमआईएम (AIMIM) के ओवैसी भी सेंध लगाने में नहीं चुकते हैं, जिसको देखते हुए हाईकमान ने रणनीति तैयार की है।

 

 

इसके तहत ओवैसी की पार्टी के उम्मीदवार जहां उतारेगी, उन सभी क्षेत्रों में कांग्रेस इमरान प्रतापगढ़ी से प्रचार कराने की रणनीति बना रही है।

 

पहले फेज के इन सीटों पर लड़ेगी ओवैसी की पार्टी- बिहार विधानसभा चुनाव के लिए मतदान से पहले सूबे में सियासी हलचल तेज हो गयी है।

 

विधानसभा चुनाव के पहले बने ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्युलर फ्रंट ने अब अपने उम्मीदवार उतारने शुरू कर दिये हैं।

 

असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने शुक्रवार को चुनावी मैदान में दो सीटों पर अपने उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है।

 

 

किशनगंज को बचाने की चुनौती- बता दें कि कांग्रेस को सबसे बड़ी चुनौती किशनगंज का किला बचाए रखना है।

 

2019 के चुनाव में महागठबंधन में कांंग्रेस एक मात्र सीट जीती थी और वो था किशनगंज का सीट.किशनगंज में ओवैसी लगातार सक्रिय है, ऐसे में कांंग्रेस को अपनी रणनीति में बदलाव करना पड़ा है।

 

प्रतापगढ़ी है फायरब्रांड स्टार प्रचारक- ओवैसी की तरह ही इमरान प्रतापगढ़ी भी भीड़ जुटाने में माहिर माने जाते हैं। वहीं इमरान प्रतापगढ़ी ओवैसी की तरह ही फायरब्रिगेड भाषण देते हैं।

 

आज तक पर छपी खबर के अनुसार, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण अपने गृह जनपद नांदेड़ में असदुद्दीन ओवैसी से खासे परेशान थे।

 

कॉर्पोरेशन चुनाव में ओवैसी के 13 कॉरपोरेटर जीते थे, जो एक बड़ा आंकड़ा है। इमरान के चुनावी कैंपेन का नांदेड़ में ये असर हुआ था कि छोटे और बड़े दोनों ओवैसी की सभाओं के बावजूद यहां AIMIM का खाता भी नहीं खुला।

 

इसके अलावा महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में ओवैसी के प्रभाव वाली सीटों नांदेड़, धारावी, सोलापुर, मुम्ब्रा में भी इमरान AIMIM का तिलिस्म तोड़ने में कांग्रेस के लिए मददगार साबित हुए।

 

हालांकि बिहार में इस बार ओवैसी ने उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP), मायावती की बहुजन समाज पार्टी (BSP), सामाजिक जनता दल (डेमोक्रेटिक), सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और जनतांत्रिक पार्टी (समाजवादी) के साथ ‘महागठबंधन धर्मनिरपेक्ष मोर्चा’ बनाया है।

 

ऐसे में कांग्रेस इमरान प्रतापगढ़ी को ओवैसी के प्रभाव वाले क्षेत्र में कैंपेनिंग का जिम्मा फिर दे सकती है।

 

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में इमरान ने गुलबर्गा, बासवा कल्याण, शिवाजी नगर, मैसूर, चित्तापुर, बिदर सहित कुल 6 विधानसभाओं में चुनाव प्रचार किया और इन सीटों पर कांग्रेस की जीत में हाथ बंटाया, जबकी ओवैसी देवगौड़ा की जेडीएस के लिए लगातार सभाएं कर रहे थे।

 

तेलंगाना विधानसभा चुनाव में इमरान के प्रचार का असर ये था कि तान्डूर और संगारेड्डी विधानसभा के मुस्लिम वोटरों ने कांग्रेस पर भरोसा जताया।

 

इसी तरह मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भोपाल और जबलपुर की सीट पर भी इमरान प्रतापगढ़ी अपने प्रचार से मुस्लिम वोट बैंक को कांग्रेस के हाथों से खिसकने नहीं दिया और पार्टी को जीत मिली।

 

वहीं, हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी इमरान ने मुस्लिम बहुल मेवात में रैली करके मामन खान और चौधरी आफताब के जीतने में बड़ा रोल अदा किया था।