बर्ड फ्लू: क्या खाए और क्या नहीं!

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देश से कोरोना वायरस का खतरा अभी पूरी तरह से टला नहीं था कि एक और बीमारी ने देशवासियों में भय पैदा कर दिया है। दरअसल, भारत में बर्ड फ्लू के मामले तेजी के साथ बढ़ते जा रहे हैं।

पत्रिका पर छपी खबर के अनुसार, आलम यह है कि हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और केरल समेत कई राज्य बर्ड फ्लू की चपेट में आ चुके हैं।

वैज्ञानिकों की मानें तो बर्ड फ्लू जितना खतरनाक पक्षियों के लिए है, उतना ही मानव जीवन को भी संकट में डालने वाला है।

दरअसल, बर्ड फ्लू के लक्षण सामान्य वायरल इंफेक्शन से अलग नहीं हैं।

बर्ड फ्लू वायरस का संक्रमण होने पर इंसान में खांसी, बुखार, गले में खराश, नाक बहना, बेचैनी, सिर दर्द, डायरिया, सांस लेने में परेशान व मांसपेशियों में दर्द जैसी शिकायतें सामने आती हैं।

अगर आप में इस तरह के कोई लक्षण दिखते हैं या फिर आपको लक्षणों के आधार पर बर्ड फ्लू होने की आशंका है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

क्योंकि यह इंफेक्शन इंसानों के लिए भी उतना ही खतरनाक है, जितना की पक्षियों के लिए।

बर्ड फ्लू वाले पक्षियों और जानवरों के संपर्क में आने से इंसान भी संक्रमित हो सकते हैं। वैज्ञानिकों की मानें तो बर्ड फ्लू इंसानों के लिए मौत का कारण भी बन सकता है।

दरअसल, बर्ड फ्लू कई प्रकार के होते हैं। लेकिन एच फाईव एन वन इस तरह का एवियन इन्फ्लूएंजा है, जो इंसानों को भी अपनी चपेट में ले लेता है। बर्ड फ्लू का पहला केस 1997 में हॉंग कॉंग में देखने को मिला था।

हालांकि उस समय मुर्गी पालन को इस बीमारी का मुख्य वजह माना गया था। विशेषज्ञों की मानें तो बर्ड फ्लू पालतू मुर्गियों जैसे पॉल्ट्री फॉर्म आदि से अधिक फैलता है।

इसका संक्रमण संक्रमित पक्षी के मल या मैल अधिक के संपर्क में आने से हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि बचाव के तौर पर संक्रमित मुर्गी के अंडे आदि खाने से परहेज करना चाहिए।

बर्ड फ्लू का वायरस संक्रमित पक्षियों के मल और मैल में 10 दिनों तक भी जिंदा रह सकता है।

मुर्गीपालन के व्यवसाय से जुड़े लोगों को बर्ड फ्लू होने का खतरा अधिक रहता है। डॉक्टरों की मानें तो इसके इलाज में एंटीवायरल आदि दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है।

डॉक्टरों की सलाह है कि लक्षण दिखने के दो दिन के भीतर इसका इलाज शुरू हो जाना चाहिए।