अल्पसंख्यकों को लेकर बीजेपी में कितना चिंता?

   

भाजपा ने मध्यप्रदेश में दो चरणों में सदस्यता अभियान की मुहिम को अंजाम तक पहुंचाने का फैसला लिया है। अभियान के राष्ट्रीय प्रभारी शिवराज सिंह चौहान और राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल की मौजूदगी में प्रदेश भाजपा की तीन महत्वपूर्ण बैठकें हुई।

नया इंडिया पर छपी खबर के अनुसार, पहली सदस्यता अभियान दूसरी कोर कमेटी और तीसरी संगठन मंत्रियों की महत्वपूर्ण बैठक। राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर पूर्व संसदीय मंत्री नरोत्तम मिश्रा समेत कुल 11 सांसदों की गैर मौजूदगी में हुई इस एक्सरसाइज में मध्यप्रदेश की सदस्य संख्या 67 लाख से आगे बढ़ाकर 84 लाख तक पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया।

जबकि भाजपा ने 2014 /15 में छत्तीसगढ़ के साथ जुड़कर 1 करोड़ 20 लाख सदस्य बनाने का दावा किया था। सत्यापन के बाद अगले 6 साल के लिए यह संख्या 67 लाख तक आ गई थी।

यदि पुराने सदस्यों का कार्यकाल इस अभियान तक यथावत माना गया तो फिर मध्य प्रदेश में भाजपा यदि अपने निर्धारित लक्ष्य तक पहुंचेगी तो फिर उसके सदस्य डेढ़ करोड़ तक पहुंच जाएगी।

राष्ट्रीय संगठन महामंत्री रामलाल ने मध्य प्रदेश को आदर्श और तीन प्रमुख राज्यों में शामिल बताकर लक्ष्य से आगे निकलने का आव्हान किया है।

भाजपा की इस चिंतन-मंथन में पार्टी इस निष्कर्ष पर पहुंची कि विधानसभा से लेकर लोकसभा चुनाव में खासतौर से आदिवासी और अल्पसंख्यक समुदाय के मतदाताओं का भरोसा खोया।

जो चिंता की बात है।फिर भी नरेंद्र मोदी के नारे ‘सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास’ हासिल करने के लिए भाजपा इस अभियान को चुनौती के तौर पर लेगी।

जो व्यक्तिगत तौर पर अभियान के प्रदेश प्रभारी अरविंद भदोरिया से ज्यादा प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह और सुहास भगत के लिए कुछ ज्यादा ही मायने रखती है।

मिस्ड कॉल के जरिए भाजपा इस अभियान को आगे ले जाएगी तो उसके सामने चुनौती अब कांग्रेस भी रहेगी। जो सत्ता पर काबिज है.. क्योंकि इससे पहले डेढ़ दशक की भाजपा सरकार के दौरान सरकारी योजनाओं का लाभ उठा रहे हितग्राहियों को भी भाजपा सदस्य बनाने में सफल रही।

संगठन चुनाव और चुनाव प्रभारी नियुक्त होने से पहले यह अभियान बदलते राजनीतिक परिदृश्य में इस बार भाजपा के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा।

इसे संयोग ही कहेंगे कि जब भाजपा श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर पार्टी का जनाधार बढ़ाने के लिए रणनीति बना रही थी। तो इसी दिन मुख्यमंत्री कमलनाथ अपने पुराने मित्र स्वर्गीय संजय गांधी को याद कर रहे थे।

मुख्यमंत्री की भूमिका में कमलनाथ उपचुनाव को ध्यान में रखते हुए झाबुआ से स्कूल चले अभियान के शुभारंभ के साथ विकास की सौगात दे क्षेत्र के सियासी मिजाज को समझने की रणनीति बना रहे थे।