झारखंड जैसी बुरी हार बिहार में न हो, बीजेपी कर रही है मंथन!

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झारखंड की सत्ता हाथ से निकल जाने के बाद भारतीय जनता पार्टी में हार के कारणों को जानने को लेकर मंथन का दौर जारी है। माना जा रहा है कि झारखंड के मुख्यमंत्री रहे रघुबर दास को भी इसीलिए कुछ दिन पहले दिल्ली बुलाया गया था।

 

इस बीच अब तक जो बातें छन के बाहर आई हैं, उसके मुताबिक भाजपा इस हार के पीछे सबसे बड़ा कारण स्थानीय नेताओं को तरजीह नहीं दिया जाना मान रही है।

खास खबर पर छपी खबर के अनुसार, भाजपा अब भविष्य में राज्यों के विधानसभा चुनावों में बेहतर प्रदर्शन के लिए स्थानीय नेताओं को तरजीह देगी।

उल्लेखनीय है कि भाजपा से बागी होकर जमशेदपुर (पूर्वी) विधानसभा सीट से मुख्यमंत्री रघुवर दास को पटखनी देने वाले सरयू राय भी कह चुके हैं कि भाजपा ने रघुवर दास को ही पार्टी का ठेका दे दिया था, जबकि अन्य नेताओं और कार्यकर्ताओं को हाशिये पर डाल दिया गया था।

भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों का दावा है कि भाजपा इस बात को मान कर चल रही है कि अधिकांश राज्यों में सत्ता गंवाने का मुख्य कारण स्थानीय नेताओं को तरजीह नहीं दिया जाना है।

भाजपा के सूत्रों का कहना है कि पार्टी में इस बात पर भी अब जोर दिया जाएगा कि राज्य इकाई में आंतरिक कलह जैसे स्थानीय मुद्दों के अलावा एकताबद्घ विपक्ष को लेकर भी विश्लेषण किया जाए।

सूत्रों का कहना है कि दिल्ली, बिहार में अगले साल होने वाले चुनावों के लिए इन सभी बिदुओं को रणनीति बनाने में शामिल किया जाएगा।

भाजपा सूत्रों ने बताया कि झारखंड के अनुभव ने स्थानीय इकाइयों की आवाज सुनने की आवश्यकता पर बल दिया है, खासकर उन राज्यों में जहां पार्टी सत्ता में है।

सूत्रों का कहना है कि झारखंड की जनता रघुवर सरकार और केंद्र सरकार द्वारा कराए गए विकास कार्यों को लेकर संतुष्ट थी, परंतु अन्य कई कारणों से रघुवर दास से लोगों को नाराजगी थी।