क्या सिकुड़ रही है भाजपा? ताज़े आकड़ों से बढ़ी बीजेपी की टेंशन !

, ,

   

जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने एनसीपी नेता अजीत पवार के समर्थन से 23 नवंबर की सुबह महाराष्ट्र में सरकार का गठन किया, तो पार्टी का इरादा था कि पिछले तीन वर्षों में अन्य राज्यों में पार्टी को हुए झटके से उबरा जाए।महाराष्ट्र में भाजपा की चार दिवसीय सरकार गिरने के साथ पार्टी आलाकमान के पास यह चिंता का कारण है कि कुछ प्रमुख राज्यों में उनकी मौजूदगी सिकुड़ गई है। भगवा पार्टी 2014 में जब पहली बार केंद्र में सत्ता में आई थी तो उसने कई राज्यों पर कब्जा किया। सिर्फ सात राज्यों पर शासन करते हुए इसने 2018 तक 21 राज्यों में मोदी लहर की सवारी करके विधानसभा चुनाव जीते। इसके बाद ठहराव आ गया और अप्रत्याशित हार शुरू हो गई।

हालांकि पार्टी असम और अन्य राज्यों में सरकारें बनाने में कामयाब रही, लेकिन इसे अपने गढ़ों में भारी पराजय का सामना करना पड़ा। 2018 के चुनावों में, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे प्रमुख राज्यों में भाजपा को हार मिली। जम्मू और कश्मीर की पूर्ववर्ती स्थिति में, जहां भाजपा ने पीडीपी के साथ गठबंधन करने के बाद 2014 में पहली बार रास्ता बनाया था, 2018 में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के बाद पार्टी ने यहां भी अपना स्थान खो दिया।

यहां तक कि कर्नाटक ने भाजपा की ताकत परखी, जब बीएस येदियुरप्पा को 2018 में मुख्यमंत्री के रूप में चार दिनों के बाद इस्तीफा देना पड़ा, जब उन्होंने प्लोर टेस्ट का सामना किया। फिर लगभग एक साल बाद भाजपा ने कांग्रेस-जदो(एस) गठबंधन सरकार को गिराने और सत्ता में वापसी करने का काम किया।

पिछले चुनावों की तुलना में 2019 के लोकसभा चुनावों को बड़े अंतर से जीतने के बावजूद, भाजपा हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में वैसा प्रदर्शन नहीं कर सकी। हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में हरियाणा में भाजपा की सीट का हिस्सा घटकर 40 रह गया। चुनाव आयोग के अनुसार पार्टी ने 2014 में पिछले चुनावों में 47 सीटें जीती थीं। मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली सरकार का नारा ‘अबकी बार 75 पार’ 90-सदस्यीय सदन में 46 के बहुमत के निशान से काफी कम रह गया।

भाजपा ने हरियाणा में सरकार बनाई लेकिन जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला और कुछ राजनीतिक ड्रामे के साथ। आरएसएस के गढ़ महाराष्ट्र में हाल के चुनावों में भाजपा की सीट का हिस्सा 2014 में 122 से गिरकर 105 हो गया। चुनाव के नतीजों के बाद हुए सत्ता संघर्ष में भाजपा ने राज्य को बनाए रखने के लिए हरसंभव कोशिश की। सरकार को गुप्त तरीके से बनाने की कोशिश भी विफल हो गई क्योंकि वह सिर्फ चार दिन बाद गिर गई।महाराष्ट्र में बीजेपी की कमान खोने के साथ, पार्टी की मौजूदगी काफी कम रह गई है। 2017 में 22 राज्यों से पार्टी सिर्फ 17 राज्यों में बची है। मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र बड़े राज्य हैं जिसका नुकसान जबरदस्त है। एक स्वाभाविक सवाल यह उठता है कि क्या भाजपा झारखंड को बरकरार रख पाएगी?