फलस्तीन के खिलाफ़ ‘डील अॉफ सेंचुरी’ के फेल होने की गारंटी है!

   

‘Deal Of The Century’ का आरम्भिक बिंदु (Starting Point) ही इसके फ़ैल होने की गारंटी है जो एक-राज्य (Single-State) पर आधारित है। मध्य-पूर्व राजनीतिक बहस में इजरायल-फिलिस्तीन गतिरोध सबसे आगे है। अमेरिका व यूरोप द्वारा इजरायल की अतिवादी नीतियों को नज़रअंदाज़ करते रहने से भी यह जटिल होता गया।

फ़िलहाल इस समस्या का कोई हल निकलता नहीं दिख रहा है। ऐसे में नए रास्तों को तलाश करने की ज़रूरत है ताकि मध्य-पूर्व एक स्थिर क्षेत्र बन सके।

पिछले दिनों जॉर्डन में हुए विश्व आर्थिक मंच में यह बात खुल कर सामने आयी कि इजरायल-फिलिस्तीन विवाद का मुद्दा तभी हल होगा जब दो-राष्ट्र की परिकल्पना तथा पूर्वी यरूशलम को राजधानी के रूप में स्वीकार किया जाय।

फिलिस्तीन तथा इसके समर्थक देशों का मानना है कि स्वतंत्र फिलिस्तीनी राष्ट् के अलावा कुछ भी स्वीकार नहीं किया जा सकता है। इस क्षेत्र में समस्या की उत्पत्ति इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष है।

अगर फिलिस्तीनियों को उनकी जमीन नहीं दी जाती है, तो यह और जटिल होता चला जाएगा और अगर इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष का हल ढूंढ लिया जाता है, तो बाकी सब कुछ आसान हो जाएगा।

फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमुद अब्बास अरब लीग में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से हुई बातचीत का ब्यौरा देते हुए कहा कि वह भी इससे सहमत थे लेकिन बाद में अपने सहयोगियों की सलाह पर दो-राष्ट् समाधान के लिए समर्थन पर पीछे हट गए थे। वहीँ इजरायल के नेतन्याहू का कहना है कि फिलिस्तीनी राष्ट्र का गठन “हमारे अस्तित्व को खतरे में डालेगा।”

ट्रम्प द्वारा यरूशलम को इजरायल की राजधानी घोषित करने व गोलन हाइट्स के अवैध संलग्न को मान्यता देने के बाद- ‘Deal Of The Century’ जो रमजान के बाद जून महीने में आने की संभावना है, पर भरोसा नहीं किया जा सकता है।

ट्रम्प के सलाहकारों की बयानबाजी से यह स्पष्ट है कि यह योजना फ़िलिस्तीनी अधिकारों को और अधिक हाशिए पर रखते हुए इज़राइल की चरमपंथी इच्छाओं को पूरा करने वाला है जिसकी पुष्टि अमेरिका में फ्रांस के निवर्तमान राजदूत गेरार्ड एराड ने एक साक्षात्कार में कहा कि व्हाइट हाउस की योजना “इजरायलियों के अनुकूल (Favourable) है और इसीलिए इसके फेल होने की गारंटी है।