‘Deal Of The Century’ का आरम्भिक बिंदु (Starting Point) ही इसके फ़ैल होने की गारंटी है जो एक-राज्य (Single-State) पर आधारित है। मध्य-पूर्व राजनीतिक बहस में इजरायल-फिलिस्तीन गतिरोध सबसे आगे है। अमेरिका व यूरोप द्वारा इजरायल की अतिवादी नीतियों को नज़रअंदाज़ करते रहने से भी यह जटिल होता गया।
फ़िलहाल इस समस्या का कोई हल निकलता नहीं दिख रहा है। ऐसे में नए रास्तों को तलाश करने की ज़रूरत है ताकि मध्य-पूर्व एक स्थिर क्षेत्र बन सके।
"With a denier of Palestinian rights in Kushner, a denier of illegal occupation in Friedman and a troll in Greenblatt, Palestinians are right to boycott the US administration" https://t.co/PcbqCg65ly
— Middle East Eye (@MiddleEastEye) May 11, 2019
पिछले दिनों जॉर्डन में हुए विश्व आर्थिक मंच में यह बात खुल कर सामने आयी कि इजरायल-फिलिस्तीन विवाद का मुद्दा तभी हल होगा जब दो-राष्ट्र की परिकल्पना तथा पूर्वी यरूशलम को राजधानी के रूप में स्वीकार किया जाय।
फिलिस्तीन तथा इसके समर्थक देशों का मानना है कि स्वतंत्र फिलिस्तीनी राष्ट् के अलावा कुछ भी स्वीकार नहीं किया जा सकता है। इस क्षेत्र में समस्या की उत्पत्ति इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष है।
Israeli newspaper publishes terms of US ‘deal of century’ on Palestine https://t.co/zhdnTpnhb8 pic.twitter.com/TVYO7w8leg
— David Icke (@davidicke) May 10, 2019
अगर फिलिस्तीनियों को उनकी जमीन नहीं दी जाती है, तो यह और जटिल होता चला जाएगा और अगर इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष का हल ढूंढ लिया जाता है, तो बाकी सब कुछ आसान हो जाएगा।
Details of Trump’s “Deal of the Century” Revealed by Israeli Media https://t.co/3dYYY3rggT pic.twitter.com/1yvpF1Zis5
— Khamakar News Agency (@KhamakarPress) May 9, 2019
फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमुद अब्बास अरब लीग में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से हुई बातचीत का ब्यौरा देते हुए कहा कि वह भी इससे सहमत थे लेकिन बाद में अपने सहयोगियों की सलाह पर दो-राष्ट् समाधान के लिए समर्थन पर पीछे हट गए थे। वहीँ इजरायल के नेतन्याहू का कहना है कि फिलिस्तीनी राष्ट्र का गठन “हमारे अस्तित्व को खतरे में डालेगा।”
ट्रम्प द्वारा यरूशलम को इजरायल की राजधानी घोषित करने व गोलन हाइट्स के अवैध संलग्न को मान्यता देने के बाद- ‘Deal Of The Century’ जो रमजान के बाद जून महीने में आने की संभावना है, पर भरोसा नहीं किया जा सकता है।
ट्रम्प के सलाहकारों की बयानबाजी से यह स्पष्ट है कि यह योजना फ़िलिस्तीनी अधिकारों को और अधिक हाशिए पर रखते हुए इज़राइल की चरमपंथी इच्छाओं को पूरा करने वाला है जिसकी पुष्टि अमेरिका में फ्रांस के निवर्तमान राजदूत गेरार्ड एराड ने एक साक्षात्कार में कहा कि व्हाइट हाउस की योजना “इजरायलियों के अनुकूल (Favourable) है और इसीलिए इसके फेल होने की गारंटी है।