वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में बजट पेश किया और सरकार ने इसकी तारीफ़ की, लेकिन विपक्ष को ये बजट पसंद नहीं आया। अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय का बजट इस बार नहीं बढ़ाया गया है। मंत्रालय का बजट 4700 करोड़ ही रखा गया है, जोकि अंतरिम बजट में भी था।
ज़ी न्यूज़ पर छपी खबर के अनुसार, बजट पेश होने के बाद एआईयूडीएफ अध्य्क्ष और लोकसभा सांसद बदरुद्दीन अजमल ने सरकार के सबका साथ सबका विकास के दावे पर सवाल खड़े किए है। बदरुद्दीन अजमल ने सरकार से पूछा, कि अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने हर साल 1 करोड़ रुपये अल्पसंख्यक छात्रों को छात्रवृत्ति देने का एलान कर रखा है।
और मंत्रालय का बजट बढ़ाया नहीं गया तो फिर कैसे 1 करोड़ अल्पसंख्यक छात्रों को छात्रवृत्ति दी जाएगी. बदरुद्दीन अजमल ने कहा कि पिछली बार 54 लाख से ज्यादा छात्रों को छात्रवृत्ति देने का अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने दावा किया और उनके लिए 2 हज़ार करोड़ के करीब आबंटित किए गए, ऐसे में सीधा सा गणित है कि 1 करोड़ छात्रों को स्कॉलरशिप देने के लिए 4 हज़ार करोड़ से ज्यादा बजट लगेगा और मंत्रालय का पूरा बजट ही 4700 करोड़ है,
जबकि मंत्रालय की दूसरी भी स्कीमें चल रही है। मदरसा आधुनिकरण स्कीम का बजट भी नहीं बढ़ाया गया, इस बार भी बजट 120 करोड़ ही रखा गया है, जबकि इस योजना के तहत पढ़ाने वाले टीचर्स सालों से वेतन ना मिलने का आरोप लगाते रहे है। ये योजना मानव विकास संसाधन मंत्रालय के तहत आती है।
मोदी सरकार के दोबारा सत्ता में आने के बाद अल्पसंख्यको को लेकर कई योजनाओं का एलान किया गया। मोदी सरकार की तरफ से 1 करोड़ अल्पसंख्यक छात्रों को हर साल छात्रवृत्ति देने का भी एलान किया गया। सरकार ने इसे सबका साथ ,सबका विकास के साथ सबका विश्वास जीतने की पहल बताया।
हालांकि 2014 में जब पहली बार मोदी सरकार बनी थी, तब लगातार अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय का बजट बढताबरह और 2019 के अंतरिम बजट पेश करने तक मंत्रालय के बजट में 1 हज़ार करोड़ की बढ़ोत्तरी हो चुकी थी।