जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के बाहर नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ जारी प्रदर्शन में गुरुवार को शामिल होने आए अन्य संस्थानों के कई छात्रों और चित्रकारों ने जामिया के बाहर मुख्य सड़क पर कई अनूठी पेंटिंग बनाकर अपना विरोध दर्ज कराया।
प्रदर्शन में शामिल छात्र आमिर मीर के मुताबिक, जामिया में कुछ छात्रों द्वारा ‘कॉल फार आर्टिस्ट’ नाम से एक अभियान चलाया गया, जिसके अंतर्गत विरोध स्थल पर कलाकारों से आने का आह्वान किया गया था। कलाकार जब समर्थन देने आए तो प्रदर्शनकारियों ने कलाकारों से पेंटिंग के माध्यम से विरोध का रेखांकन करने की गुजारिश की।
Delhi: Students of #JamiaMilliaIslamia and several artists painted the streets outside the University, in protest against #CitizenshipAmendmentAct and #NationalRegisterofCitizens#JamiaProtest pic.twitter.com/27U7Aksm7O
— Jamia Millia Islamia (@jamiamillia_) January 2, 2020
इसके बाद आज पूरे दिन जामिया विश्वविद्यालय के बाहर कलाकारों, पेंटरों का जमावड़ा लगता रहा। इन कलाकारों ने सड़क पर कई रंगोलियां, चित्र, पेंटिंग्स और पोस्टर बनाकर अपनी आवाज को सरकार तक पहुंचाने की कोशिश की। इस दौरान कई कलाकारों ने प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की पेंटिंग बनाकर नागरिकता कानून और एनआरसी पर अपना विरोध जताया।
जामिया में जुटे कलाकारों ने नागरिकता कानून के विरोध में सड़क पर पेंटिंग के जरिए उर्दू के लोकप्रिय शायर साहिर लुधियानवी का शेर “ऐ रहबर-ए-मुल्क-ओ-कौम बता ये किसका लहू है कौन मरा”, लिखकर विरोध जताया। कई कलाकारों ने अपनी पेंटिंग में ‘नो सीएए, नो एनआरसी’ लिखा, तो कई कलाकारों ने पीएम मोदी की तस्वीर बनाकर भी विरोध का संदेश देने की कोशिश की।
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जामिया में गुरुवार को नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ जारी प्रदर्शन का 21वां दिन था। रोज यहां सुबह से जुटने वाले छात्र-छात्राएं नए-नए तरीकों से अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं। शुरुआती दिनों के भाषण और नारों के बाद अब कलात्मकता और संस्कृति का इस्तेमाल इस विरोध प्रदर्शन में किया जा रहा है।
वहीं इस बीच कुछ छात्रों ने गांधीगीरी का रास्ता अपनाते हुए अपना विरोध दर्ज कराने के लिए सत्याग्रह करते हुए भूख हड़ताल करने का ऐलान किया है। इसके तहत रोजाना जामिया के 8 से 10 मौजूदा और पूर्व छात्र भूख हड़ताल पर बैठेंगे। छात्रों का कहना है कि जब तक नागरिकता संशोधन कानून वापस नहीं लिया जाता है, तब तक वे गांधीजी के रास्ते पर चलकर अपना सत्याग्रह जारी रखेंगे।