नागरिकता कभी भी धर्म के आधार पर नहीं दी जा सकती- ममता बनर्जी

   

लोकसभा में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा प्रस्तुत किए गए नागरिकता संशोधन विधेयक (कैब) को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को ‘विभाजनकारी’ बताया और ‘किसी भी कीमत’ पर विधेयक का विरोध करने का आह्वान किया।

उन्होंने कहा कि देश के किसी भी नागरिक को शरणार्थी नहीं बनने दिया जाएगा। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सत्ता में रहते हुए बंगाल में कभी एनआरसी और कैब की इजाजत नहीं दिए जाने का आश्वासन देते हुए बनर्जी ने इन्हें एक ही सिक्के के दो पहलू बताया।

इंडिया टीवी न्यूज़ डॉट कॉम पर छपी खबर के अनुसार, अमित शाह ने लोक सभा में विधेयक पेश करने के बाद कहा था कि यह अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं बल्कि घुसपैठियों के खिलाफ है।

बनर्जी ने नागरिकता संशोधन विधेयक पर कहा, “यह विभाजनकारी विधेयक है और इसका किसी भी कीमत पर विरोध होना चाहिए।” उन्होंने दावा किया कि प्रदेश में एनआरसी लागू होने के डर से अब तक तीस लोग आत्महत्या कर चुके हैं। बनर्जी ने कहा भारत जैसे पंथनिरपेक्ष देश में नागरिकता कभी भी धर्म के आधार पर नहीं दी जा सकती।

तृणमूल अध्यक्ष ने खड़गपुर में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा, “एनआरसी और कैब से डरने की जरूरत नहीं है। हम इसे कभी भी बंगाल में लागू नहीं करेंगे।

वे इस देश के किसी वैध नागरिक को बाहर नहीं फेंक सकते, न ही उसे शरणार्थी बना सकते हैं।” उन्होंने कहा, “इस देश का एक भी नागरिक शरणार्थी नहीं बनेगा।

कुछ लोग अपने राजनैतिक बड़बोलेपन के जरिये अशांति उत्पन्न करना चाहते हैं लेकिन मैं साफ कर देना चाहती हूँ कि कोई एनआरसी और कैब लागू नहीं होगा। आप जाति या धर्म के आधार पर एनआरसी या कैब लागू नहीं कर सकते।”

उन्होंने कहा, “जो अभी देश में आ रहे हैं उनके लिए सरकार ग्रीन नागरिकता कार्ड धारक का प्रावधान कर सकती है। लेकिन जो पिछले पांच छह दशकों से देश में रह रहे हैं उन्हें सरकार देश छोड़ने के लिए कैसे कह सकती है?

जो भी इस देश में रहता है वह वैध नागरिक है।” बनर्जी ने कैब और एनआरसी के विरुद्ध अपनी लड़ाई को पिछले सप्ताह ‘दूसरा स्वतंत्रता संग्राम’ बताया था।