CBI निदेशक आलोक वर्मा को हटाने का फैसला करने वाले जस्टिस सीकरी को मोदी सरकार ने बड़े पद से नवाज़ा

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करीब दो महीने बाद  यानी 6 मार्च को रिटायर हो रहे जस्टिस सीकरी को लंदन स्थित CSAT में नियुक्त किए जाने की खबर है. वे आलोक वर्मा को हटाए जाने वाली तीन सदस्यीय सेलेक्ट कमिटी के सदस्य थे. द वायर  की रिपोर्ट के मुताबिक विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है.

एके सीकरी सुप्रीम कोर्ट के दूसरे वरिष्ठतम जज हैं और हाल ही में आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक के पद से हटाने वाली चयन समिति के सदस्य थे. सुप्रीम कोर्ट से रिटायर होने के बाद छह मार्च को सीकरी सीएसएटी में पदभार ग्रहण करेंगे.

सीएसएटी के सदस्यों को चार साल के कार्यकाल के लिए नियुक्त किया जाता है, जिसे एक और कार्यकाल के लिए रिन्यू किया जा सकता है.

मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा आलोक वर्मा की सीबीआई निदेशक पद पर बहाली के बाद बीते गुरुवार को नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली चयन समिति ने 2:1 के फैसले से उनका तबादला कर दिया था. समिति में मोदी के अलावा सुप्रीम कोर्ट जज एके सीकरी और विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे थे.

चयन समिति के तीन सदस्यों में से प्रधानमंत्री मोदी और जस्टिस एके सीकरी सीवीसी जांच के आधार पर आलोक वर्मा को बतौर सीबीआई निदेशक पद पर बने रहने के खिलाफ थे. चयन समिति के इस फैसले की काफी आलोचना हो रही है.

यहां तक कि आलोक वर्मा मामले में केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के जांच की निगरानी करने वाले सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस एके पटनायक ने बीते शुक्रवार को कहा कि वर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार का कोई सबूत नहीं था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली समिति ने उन्हें हटाने के लिए बहुत जल्दबाजी में फैसला लिया.

आलोक वर्मा के भविष्य का फैसला करने के लिए एके सीकरी का वोट महत्वपूर्ण था क्योंकि वह मोदी और खड़गे के अलावा उच्च-स्तरीय चयन समिति के तीसरे सदस्य थे. बैठक में जस्टिस सीकरी का सरकार के समान दृष्टिकोण था जबकि खड़गे ने कड़ी नाराजगी जाहिर की थी.

सुप्रीम कोर्ट के सूत्रों ने द प्रिंट को बताया कि केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पिछले महीने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को पत्र लिखकर जस्टिस सीकरी को इस पद पर नामित करने और उनकी सहमति लेने के विदेश मंत्रालय के फैसले से अवगत कराया था.