CBI बनाम कोलकाता पुलिस: जानिए क्या है चीट फंड विवाद?

   

कोलकाता पुलिस प्रमुख से पूछताछ की सीबीआई की नाकाम कोशिश के बाद जो राजनीतिक घटनाक्रम देखने को मिल रहा है, उसका संबंध दो कथित पोंजी घोटालों से है। इसकी कहानी सारदा समूह और रोज वैली समूह से जुड़ी हुई है।

इंडिया टीवी न्यूज़ डॉट कॉम के अनुसार, इसका पता 2013 में चला था। दरअसल, इन दोनों कंपनियों ने लाखों निवेशकों से दशकों तक हजारों करोड़ रुपये वसूले और बदले में उन्हें बड़ी रकम की वापसी का वादा किया गया। लेकिन, जब धन लौटाने की बारी आई तो भुगतान में खामियां होने लगीं। जिसका असर राजनीतिक गलियारे तक देखने को मिला।

धन जमा करने वाली योजनाएं कथित तौर पर बिना किसी नियामक से मंजूरी के 2,000 से पश्चिम बंगाल और अन्य पड़ोसी राज्यों में चल रही थी। लोगों के बीच यह योजना ‘चिटफंड’ के नाम से मशहूर थी।

इस योजना के जरिए लाखों निवेशकों से हजारों करोड़ रुपये जमा किए गए। इन दोनों समूहों ने इस धन का निवेश यात्रा एवं पर्यटन, रियल एस्टेट, हाउसिंग, रिजॉर्ट और होटल, मनोरंजन और मीडिया क्षेत्र में व्यापक तौर पर किया था।

धन जमा करने वाली योजनाएं कथित तौर पर बिना किसी नियामक से मंजूरी के 2,000 से पश्चिम बंगाल और अन्य पड़ोसी राज्यों में चल रही थी। लोगों के बीच यह योजना ‘चिटफंड’ के नाम से मशहूर थी।

इस योजना के जरिए लाखों निवेशकों से हजारों करोड़ रुपये जमा किए गए। इन दोनों समूहों ने इस धन का निवेश यात्रा एवं पर्यटन, रियल एस्टेट, हाउसिंग, रिजॉर्ट और होटल, मनोरंजन और मीडिया क्षेत्र में व्यापक तौर पर किया था।

सारदा समूह 239 निजी कंपनियों का एक संघ था और ऐसा कहा जा रहा है कि अप्रैल, 2013 में डूबने से पहले इसने 17 लाख जमाकर्ताओं से 4,000 करोड़ रुपये जमा किए थे। वहीं, रोज वैली के बारे में कहा जाता है कि इसने 15,000 करोड़ रुपये जमा किए थे।

सारदा समूह से जुड़े सुदिप्तो सेन और रोज वैली से जुड़े गौतम कुंडु पर आरोप है कि वे पहले पश्चिम बंगाल की वाम मोर्चा सरकार के करीब थे। लेकिन, राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि जैसे-जैसे राज्य में तृणमूल कांग्रेस की जमीन मजबूत हो गई, ये दोनों समूह इस पार्टी के नजदीक आ गए।

हालांकि, इन दोनों समूहों की संपत्ति 2012 के अंत में चरमरानी शुरू हो गई और भुगतान में खामियों की शिकायतें भी मिलने लगी थीं। सारदा समूह अप्रैल 2013 में डूब गया और सुदिप्तो सेन अपने विश्वसनीय सहयोगी देबजानी मुखर्जी के साथ पश्चिम बंगाल छोड़कर फरार हो गया।

इसके बाद सारदा समूह के हजारों कलेक्शन एजेंट तृणमूल कांग्रेस के कार्यालय के बाहर जमा हुए और सेन के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। सारदा समूह के खिलाफ पहले मामला विधान नगर पुलिस आयुक्तालय में दायर किया गया, जिसका नेतृत्व राजीव कुमार कर रहे थे।