चैन्नई में शाहिन बाग की तरह आन्दोलन: विरोध कर रहे लोगों पर पुलिस ने किया लाठीचार्ज!

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चेन्नई में दिल्ली के शाहीन बाग की तरह NRC और CAA का विरोध हो रहा है।

 

 

चटपटी न्यूज़ डॉट कॉम पर छपी खबर के अनुसार, राजधानी दिल्ली के शाहीनबाग में बीते दो महीने से अधिक समय से CAA और NRC का विरोध हो रहा है। लेकिन अब चेन्नई में एक दूसरा ‘शाहीन बाग’ बन गया है।

 

दरअसल, चेन्नई में 14 फरवरी को नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स (NRC) के खिलाफ विरोध करने के लिए हजारों लोग सड़कों पर उतर आए और ‘शाहीन बाग’ की तरह सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। इस बीच पुलिस ने फौरन कार्रवाई करते हुए 100 से अधिक प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया है।

 

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पुलिस ने 14 फरवरी की शाम चेन्नई के वाशरमैनपेट में CAA और NRC के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान उनके साथ हाथापाई हुई, जिसके बाद पुलिस ने 100 से अधिक प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया।

 

बता दें कि भारी संख्या में प्रदर्शनकारी सड़कों पर इक्ट्ठा हुए और प्रदर्शन करने लगे। इस बीच पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए बैरिकेट कर दिया लेकिन प्रदर्शनकारी पुलिस बैरिकेड्स के खिलाफ आगे बढ़ने लगे। इस बीच पुलिस व प्रदर्शनकारियों में हाथापाई हुई। इसके बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए बैटन चार्ज का भी सहारा लिया।

बाद में पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेने के बाद, अन्ना सलाई में माउंट रोड दरगाह के पास एक विरोध प्रदर्शन निकाला गया, जिसे बाद में अस्थाई तौर पर वापस ले लिया गया।

आपको बता दें कि CAA और NRC को लेकर देश के कई हिस्सों में व्यापक प्रदर्शन हो रहा है। इससे पहले राजधानी दिल्ली, बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, असम आदि कई राज्यों में हिंसक प्रदर्शन देखने को मिला है।

सीएए और एनआरसी के खिलाफ देश की सर्वोच्च अदालत में कई याचिकाएं दायर की गई हैं, जिसपर कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाबू भी मांगा है।

सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता संशोधन कानून, 2019 (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाने वाली एक याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है। देवबंदी विचारधारा के इस्लामी संगठन जमियत उलेमा-ए-हिंद ने यह याचिका दायर की है।

 

 

मालूम हो कि सरकार ने संसद में जो कानून पारित किया है इसके मुताबिक, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश में धर्म के आधार पर प्रताड़ित अल्पसंख्यक हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी को नागरिकता दी जाएगी।

 

 

हालांकि इसमें यह भी कहा गया है कि नागरिकता केवल उन्हीं को दी जाएगी, जो 31 दिसंबर, 2014 तक भारत में आ चुके हैं।