उइगर मुस्लिमों का चीन ऐप के जरिए कर रहा है जासूसी!

   

चीन की सरकार ने शिनजियांग प्रांत में अल्पसंख्यक लोगों के लिए जो कैंप बनाए हैं, वहां क्या हो रहा है इस बारे में कुछ लीक हुए दस्तावेजों से जानकारी मिली है।

निगरानी के लिए ऊंचे मचान, दोहरे ताले वाले दरवाजे और पूरे परिसर पर वीडियो कैमरों से नजर रख कर इन कैम्पों से “कोई भाग ना सके” यह सुनिश्चित किया जाता है।

सख्त नियमों का पालन, मैंडरिन भाषा का पूरा ज्ञान और नहाने से ले कर शौचालय के इस्तेमाल तक की विधियों समेत मैंडरिन भाषा कितने अच्छे से आती है इस आधार पर ही यहां से जाने की इजाजत मिलती है।

इन कैम्पों में चीन की सरकार ने उइगुर और दूसरे अल्पसंख्यकों को रखा है। सरकार कहती है कि उन्हें चीन में बेहतर जीवन और नौकरी के लिए कौशल विकसित करने की “वोकेशनल ट्रेनिंग” दी जा रही है।

इन कैंपों के बारे में नई जानकारी यह सामने आई है कि “तौर तरीके” सिखाने वाली ट्रेनिंग यहां अनिवार्य है जबकि “वोकेशनल स्किल इम्प्रूवमेंट” कम से कम एक साल के बाद शुरू होती है।

इन कैंपों में 10 लाख से ज्यादा लोगों को रखा गया है और इनमें ज्यादातर मुसलमान हैं। कई समाचार संगठनों के एक समूह ने कुछ गोपनीय दस्तावेजों के आधार पर बताया है कि इन कैंपों में वही होता है जिसका जिक्र पहले यहां रह चुके लोगों ने किया है।

इन दस्तावेजों के मुताबिक लोगों को यहां जबरन वैचारिक और व्यावहारिक ज्ञान दिया जा रहा है। इन कैंपों का सारा कामकाज बहुत गोपनीय तरीके से चलता है। चीन सरकार पर यह आरोप लग रहे हैं कि वह अल्पसंख्यक मुसलमानों को चीन के रंग ढंग में ढालने के लिए अभियान चला रही है।

लीक हुए गोपनीय दस्तावेज बता रहे हैं कि चीन की सरकार जानबूझ कर रणनीति बना कर अल्पसंख्यकों को अपराध करने से पहले ही गिरफ्त में ले रही है।

इसका मकसद उनके विचारों और भाषा को तब्दील करना है। दस्तावेज यह भी दिखाते हैं कि चीन कैसे आंकड़ों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर सामाजिक नियंत्रण का एक नया तरीका विकसित कर रहा है।

निगरानी की तकनीक का व्यापक पैमाने पर इस्तेमाल कर ये आंकड़े जुटाए गए हैं और कंप्यूटरों ने महज एक हफ्ते में दसियों हजार लोगों के नाम जारी किए हैं जिनसे पूछताछ की जाएगी और जिन्हें हिरासत में लिया जाएगा।

चीन कई दशकों से शिनजियांग को नियंत्रित करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। यहां उइगुर समुदाय चीन के सख्त शासन का विरोध करता है। अमेरिका पर 9/11 के हमले के बाद चीन के अधिकारियों ने सख्त सुरक्षा उपायों और धार्मिक पाबंदियों को जायज आतंकवाद पर लगाम लगाने के लिए उचित ठहराना शुरू कर दिया।

उनकी दलील थी कि युवा उइगुर इस्लामी आतंकवाद की चपेट में आ सकते हैं। इसके बाद से आतंकवादी हमलों, बदले की कार्रवाई और नस्ली दंगों में उइगुर और हान समुदाय के सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है।

2014 में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने उरुमुकी के ट्रेन स्टेशन पर उइगुर आतंकवादियों के बम हमले के बाद “पीपुल्स वार ऑन टेरर” शुरू किया। यह युद्ध शिनजियांग के पहले सरकारी दौरे के कुछ ही घंटे बाद शुरू किया गया। तब सरकारी मीडिया ने शी के हवाले से कहा था, “स्टील की दीवारें बनाओ और लोहे के कि।

ऊपर से जाली लगाओ और नीचे से फंदे। हमारे मौजूदा संघर्ष में हिंसक आतंकवादी गतिविधियों को बुरी तरह से ध्वस्त करने पर हमारा ध्यान निश्चित रूप से होना चाहिए।

2016 में चेन क्वांगुओ को तिब्बत हटा कर शिनिजियांग का प्रमुख बना दिया गया। उसके बाद से सरकार की कार्रवाई में नाटकीय रूप से तेजी आई। लीक हुए दस्तावेजों में ज्यादातर 2017 में जारी किए गए हैं।

इसी दौरान शिनजियांग में “आतंकवाद के खिलाफ युद्ध” को सैन्य तकनीक का इस्तेमाल कर असाधारण रूप से बड़े पैमाने लोगों को हिरासत में रखने का अभियान बना दिया गया। यह अभियान अब भी जारी है और चीन की सरकार का कहना है कि यह कारगर है।